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एमबीबीएस पास नियमित डॉक्टरों को कैसे एसआर बना दिया गया, इस पर चिकित्सा शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पास भी संतोषजनक जवाब नहीं है। दरअसल शासन की ओर ये प्रमोशन पीएससी में हुआ है। नियोक्ता होने के कारण पीएससी सलेक्टेड डॉक्टरों का प्रमोशन वही करता है। इसके लिए संबंधित विभाग से प्रमोशन के नियम बनाए जाते हैं। गलती पीएससी से हुई या डीएमई कार्यालय से, यह स्पष्ट नहीं है। एमबीबीएस पास डॉक्टर अगर इन सर्विस केटेगरी के तहत अगर पीजी नहीं करते तो वे असिस्टेंट प्रोफेसर कैसे बनेंगे, इसमें भी गफलत है। दरअसल एसआर को प्रमोट कर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाया जाता है।
एमएससी पास एपी एनएमसी के नियमों में शामिल नहीं प्रदेश के कुछ सरकारी कॉलेजों में एमएससी पास डॉक्टर असिस्टेंट प्रोफेसर की नौकरी कर रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार एनएमसी के नियम में एमएससी पास असिस्टेंट प्रोफेसर नहीं बन सकता। यही नहीं एक एमएससी डिग्री वाले डेमोंस्ट्रेटर को प्रमोट कर असिस्टेंट प्रोफेसर बनाने का मामला भी है, तब भी एनएमसी के नियम में यह नहीं था। कांकेर कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में भी एक एमएससी डिग्रीधारी असिस्टेंट प्रोफेसर है। वह एमबीबीएस भी नहीं है। इसलिए उन्हें क्लीनिकल नॉलेज भी नहीं है। वहां एमबीबीएस फस्टZ ईयर का रिजल्ट 99 फीसदी आया था। इस पर विशेषज्ञों ने सवाल भी उठाए हैं।
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डीएनबी भी अब सीधे बन सकते हैं एपी अब डीएनबी डिग्रीधारी डॉक्टर भी सीधे असिस्टेंट प्रोफेसर बन सकते हैं। डॉक्टरों की कमी को देखते हुए एनएमसी ने पहले ही यह निर्णय लिया था। पहले डीएनबी डिग्रीवाले डॉक्टरों को दो साल एसआर बनना पड़ता था। इसके बाद वे असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए पात्र होते थे। यही नहीं एमडी-एमएस डिग्रीधारी के लिए भी एसआर बनना जरूरी था, लेकिन पांच साल पहले कई डॉक्टर पीजी डिग्री लेते ही असिस्टेंट प्रोफेसर बन गए।
सीनियर रेसीडेंट के लिए पीजी पास होना जरूरी है। एमबीबीएस डिग्री वाले डॉक्टरों को एसआर बनाने का मामला आया था। वे सेवाएं भी दे रहे हैं।
– डॉ. विष्णु दत्त, डीएमई