परदे से पीछे कई बड़े काम किए
ना सिर्फ चैंबर ऑफ कॉमर्स बल्कि अन्य व्यापारी संगठनों की मदद के लिए धावना हमेशा तैयार रहते थे। चैंबर के बड़े आंदोलनों को दिशा देने और राज्य सरकार के साथ सेतु के कार्य के लिए उन्होंने व्यापारिक नीतियों पर काम कई बड़े काम किए। चाहे बजट प्रस्ताव हो चाहे व्यापारिक समस्याओं पर कोई बात। धावना ज्यादातर परदे के पीछे रहकर काम करते थे। उनकी लेखनी का जवाब नहीं था। यही कारण है कि हर कोई उनके व्यक्तित्व का कायल था।
नीति-नियमों के जानकार
चैंबर के नीति-नियमों और राजनीतिक दांवपेंच में अमर धावना एक ऐसे खिलाड़ी थे, जिनकी बराबरी कोई नहीं कर सकता। उन्होंने चैंबर का संविधान बनाया।विधायकीय कार्यकाल में भी सुंदरानी धावना से पूछे बिना चैंबर से संबंधित कोई निर्णय नहीं लेते थे, वहीं धावना की कोई भी बात सुंदरानी दरकिनार नहीं कर सकते थे। दोनों की मित्रता ने चैंबर में कई इतिहास रचे और युवा चेहरों को चैंबर में बड़े पदों पर जगह मिली।पूरी नहीं हो सकती यह कमी
पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने कहा कि विपरीत से विपरीत परिस्थिति में हंसता हुआ चेहरा अमर धावना की खासियत थी। 1990 से हम एक साथ थे। उनके साथ हमने 1998 से छग सिंधी पंचायत की शुरूआत की। उन्हें चैंबर अध्यक्ष बनने का कई बार अवसर मिला, लेकिन वे पद से अलग रहे। ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो सबसे अधिक काम करते हैं, लेकिन खुद कोई पद लेना पसंद नहीं करते। मेरे व्यक्तिगत संकट की घड़ी में भी हमेशा आगे रहे। कल रात डॉक्टर से बातचीत करने पर पता चला कि ब्रेन में ऑक्सीजन की मात्रा काफी कम हो चुकी थी, वहीं शुगर लेवल काफी बढ़ गया था।दफ्तर में चलता था छोटा क्लीनिक
अमर धावना काफी वक्त से शुगर, एसिडिटी से परेशान थे। यही कारण है कि खुद का इलाज करवाते उन्हें दवाइयों की जानकारी भी हो चुकी थी। वे होम्योपैथिक दवाइयों पर ज्यादा भरोसा करते थे। मांगड़ापारा स्थित उनके निवास पर होम्योपैथिक दवाइयों से एक आलमारी भरा हुआ था। पिछले दो-तीन वर्षों से उन्होंने अपनी बीमारी पर काफी कंट्रोल भी किया था। दफ्तर का हर कर्मचारी उनकी दवाइयों की जानकारी से परिचित था। तबियत बिगडऩे पर कर्मचारी उनके केबिन पहुंचते थे और बाहर आते ही चेहरे पर मुस्कान होती थी।व्यापारी जगत और समाज को अपूरणीय क्षति
अमर धावना के अचानक चले जाने से हर कोई स्तब्ध है। चैंबर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष भरत बजाज ने कहा कि उनकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती। वरिष्ठ उपाध्यक्ष विक्रम सिंहदेव ने कहा कि धावना जी के मार्गदर्शन में काफी कुछ सीखने को मिला। उपाध्यक्ष राजेश वासवानी ने कहा कि उनका अचानक चले जाना पीड़ादायक है। चैंबर के चेयरमेन रमेश गांधी ने कहा कि वे चैंबर के आधार स्तंभ थे। चैंबर महामंत्री लालचंद गुलवानी व कोषाध्यक्ष प्रकाश अग्रवाल ने कहा कि चैंबर ऑफ कॉमर्स उनके योगदानों को कभी भूला नहीं सकेगा।उनकी बदौलत आज इस मुकाम पर हूं
कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि चैंबर से अलग होने के बाद मेरे सामने चुनौती थी, लेकिन धावना जी ने हौसला दिया। चैंबर चेयरमेन होने के बाद भी कैट ज्वाइन करने की प्रेरणा दी। उनकी प्रेरणा की बदौलत मैंने नए व्यापारी संगठन को चुना। वे मेरे लिए गुरू, मित्र सब कुछ थे। मेरे चैंबर अध्यक्ष बनने के पहले अध्यक्ष पद का प्रस्ताव पहले धावना जी को दिया गया था, लेकिन उन्होंने स्वास्थ्यगत कारणों की वजह से पद लेने से इंकार कर दिया, वह एक विशाल ह्दय के व्यक्ति थे। वे व्यापारी समाज में हमेशा अमर रहेंगे। चैंबर अध्यक्ष जितेंद्र बरलोटा ने कहा कि अमर धावना ऐसे व्यक्ति थे, जिसने ऊंच-नीच का भेदभाव किए बगैर सभी को बराबर प्यार दिया। उनकी नेतृत्व क्षमता ने हमे काफी कुछ सीखने को मिला। हमारी पूरी कोशिश रहेगी कि चैंबर को उनके बताए मार्गों पर चला सके।