इस बैठक में मुख्यमंत्री के तीखे तेवर भी देखने को मिले। मुख्यमंत्री ने विद्युत देयकों में उपभोक्ताओं को दी जाने वाली छूट का स्पष्ट रूप से उल्लेख न होने के कारण विद्युत वितरण कम्पनियों पर नाराजगी जतायी। उन्होंने मड़वा विद्युत ताप परियोजना की गड़बडियों के संबंध में भी अधिकारियों से पूछ-ताछ की और दोषियों के विरूद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने विद्युत कंपनियों के पास खाली जमीनों की जानकारी ली। उन्होंने बंद हो चुकी कोरबा पूर्व 200 मेगावाट पावर प्लांट की भूमि का व्यवसायिक उपयोग करने के निर्देश दिए। बैठक में ट्रांसमिशन कम्पनी के पारेषण हानि, निर्माणाधीन सब स्टेशनों की स्थिति, प्रस्तावित सब स्टेशन, विद्युत देयकों के श्रेणीवार लंबित भुगतान, विद्युत चोरी की रोकथाम के लिए एबी केबल की स्थापना , विद्युत पारेषण हानि कम करने के उपायों, सहित विभिन्न पावर प्लांट के माध्यम से विद्युत उत्पादन की प्रति यूनिट लागत की गहन समीक्षा की गई। बैठक में मुख्य सचिव आरपी मंडल, विद्युुत कंपनियों के चेयरमेन और मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, सहित विद्युत कम्पनियों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
पुनर्गठन प्रस्ताव पर भी हुई चर्चा
मुख्यमंत्री ने बैठक में छत्तीसगढ़ राज्य के विद्युत कम्पनियों के पुनर्गठन के संबंध में प्रस्तुत प्रस्ताव पर विस्तार से चर्चा की। छत्तीसगढ़ राज्य में वर्तमान में पांच विद्युत कम्पनियां हैं, इनका पुनर्गठन कर तीन कम्पनी बनाया जाना प्रस्तावित है। पुनर्गठन के प्रस्तावित विकल्प पर चर्चा की गई।
1510 करोड़ रुपए के राजस्व नुकसान का अनुमान
बैठक में कोरोना संक्रमण और लाॅकडाउन के चलते अप्रैल मे राजस्व में 212 करोड़ रूपए की कमी की जानकारी देते हुए विद्युत वितरण कम्पनी के प्रबंध निदेशक अब्दुल कैसर हक ने बताया कि अक्टूबर तक 1510 करोड़ रुपए की राजस्व में कमी अनुमानित है। अधिकारियों ने बताया कि छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत वितरण कम्पनी का विभिन्न श्रेणी के उपभोक्तााओं से 6324.62 करोड़ रुपए बकाया है। बैठक में विभाग वार बकाया राशि की भी विस्तार से जानकारी दी गई।