कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनने से थोड़ी कम हुई हरियाली
आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रो. संजीव शुक्ला ने बताया कि पहले तो विवेकानंद आश्रम से से ही तापमान कम हो जाता था। लेकिन विवेकानंद आश्रम से आगे साल 1992 में कमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनने से यहां थोड़ी हरियाली तो कम हुई है साथ ही यहां से ही तापमान कम होने का दायरा थोड़ा आगे बढ़ गया। अब तापमान केवल आयुर्वेदिक कॉलेज में ही कम महसूस होता है। आज भी यदि शहर का हर व्यक्ति अपने घर में एक पौधा भी लगाता है तो कहीं न कहीं वो पर्यावरण को शुध्द रखने का काम करेगा।
आयुर्वेदिक कॉलेज है इस वन का खास हिस्सा
आयुर्वेदिक कॉलेज में बने औषधीय पौधों और अन्य पौधों को मिलाकर कुल 254 प्रजाति के पौधे लगे है। प्रो. राजेश सिंह ने बताया कि वैसे तो रविवि, आरकेसी और साइंस कॉलेज और आयुर्वेदिक कॉलेज परिसर को मिलाकर ही ये छोटा सा वन बनता है लेकिन इसमें आयुर्वेदिक कॉलेज का ही हिस्सा ही सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि 70 फीसदी भाग आयुर्वेदिक कॉलेज का है। यहां 7 हजार बड़े पेड़ है वहीं हजारों की संख्या में छोटे पौधे लगे है। कॉलेज के स्टूडेंट्स यहां पर प्रेक्टिस करने आते है। इसके साथ ही पूरा ये परिसर वन विभाग के अधीन ही है।