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रायपुर

अन्नदाता परेशान… रकबा घटाया, सूखत के नाम पर ज्यादा धान, खरीदी भी आधी

धान खरीदी पर भड़का असंतोष, जगह-जगह आंदोलन की तैयारी में संगठन

रायपुरDec 08, 2019 / 01:16 am

Nikesh Kumar Dewangan

अन्नदाता परेशान... रकबा घटाया, सूखत के नाम पर ज्यादा धान, खरीदी भी आधी

कवर्धा-बिलासपुर मार्ग पर पांडातराई में प्रदर्शन करते किसान व जकांछ कार्यकर्ता।

रायपुर. प्रदेश भर के धान खरीदी केंद्रों पर भारी असंतोष की स्थिति निर्मित हो रही है। पहले तो सत्यापन के नाम पर पंजीयन के समय दर्ज किसानों के धान का रकबा कम किया गया। सूखत के नाम पर किसानों ने प्रति क्विंटल ढाई से तीन किलो धान अतिरिक्त लिया जा रहा है, अभी दो दिनों से खरीदी केंद्रों में धान खरीदी की दैनिक सीमा 35 से 50 प्रतिशत तक कम कर दी गई है।
कबीरधाम जिले के राजानवागांव के किसान सुखचंद ने छह एकड़ का पंजीयन कराया था। अब उसे शून्य कर दिया गया है। उसी गांव के फागू और दुखीराम के धान का रकबा भी शून्य हो चुका है। मतलब ये तीनों किसान अब धान नहीं बेच पाएंगे, क्योंकि सरकारी रेकॉर्ड में उन्होंने धान बोया ही नहीं है। चिखली गांव के धुरुआराम धुर्वे का 8 एकड़ अब 0.03 एकड़ में बदल चुका है। वहीं राजानवागांव के पवन पटेल का 5.5 एकड़ घटकर 2 एकड़ रह गया है। रायपुर और गरियाबंद जिले के खरीदी केंद्रों से नई समस्या सामने आई है।
बेलटुकरी समिति में रोजाना 4300 बोरी धान की तौल हो जाती थी। दो दिन से वहां केवल 2200 बोरी धान ही लिया जा रहा है। अखिल भारतीय क्रांतिकारी किसान सभा के राज्य सचिव तेजराम विद्रोही बताते हैं कि समितियों ने जनवरी तक का टोकन दे रखा है। लेकिन अब 100 बोरी लेकर गए किसानों को 35 बोरी धान वापस लाना पड़ रहा है। जहां विरोध हो रहा है वहां पंचनामा बनाकर केंद्र पर धान की बोरियां अलग रखी जा रही हैं। दुर्ग में समितियों ने प्रतिदिन 3 हजार क्विंटल लेने की लिमिट तय की है। सूखत के नाम पर किसानों से अतिरिक्त धान लेने का खेल भी बदस्तूर जारी है। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के राजकुमार गुप्त बताते हैं कि प्रति क्विंटल ढाई से तीन किलोग्राम अतिरिक्त धान लिया जा रहा है। वहीं छत्तीसगढ़ किसान सभा ने 5 से 10 किलोग्राम प्रति क्विंटल लिए जाने का आरोप लगाया।
गोलमाल की आशंका
छत्तीसगढ़ किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा, खरीदी केंद्रों में किसानों से ही धान तुलवाने, बोरों में भरवाने और थप्पी लगवाने का काम कराया जा रहा है। इस काम के लिए सरकार ने मजदूरी मद में 10 रुपए प्रति क्विंटल अलग से देने का प्रावधान कर रखा है। दोनों नेताओं का आकलन है कि सरकारी खरीदी केंद्रों में ही किसानों से प्रति क्विंटल 150 रुपयों की लूट हो रही है। सरकार अगर 85 लाख मीट्रिक टन धान खरीदती है तो यह रकम 1275 करोड़ रुपयों की होगी।
बृजमोहन बोले- धान खरीदी में सरकार नाकाम
धा न खरीदी के मुद्दे को लेकर पूर्व कृषि मंत्री और दक्षिण विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश सरकार पर बड़ा हमला बोला है। अग्रवाल ने आरोप लगाया कि प्रदेश सरकार धान खरीदी की व्यवस्था में पूरी तरह नाकाम साबित हुई है। सोसाइटी में बारदाने की कमी है। किसानों को खरीदी का टोकन ७-७ दिन बाद का मिल रहा है। भुगतान में भी देरी हो रही है। इससे किसान परेशान हो रहे हैं। उनका यह भी दावा है कि अभी भी करीब १०० सोसायटियों में धान की खरीदी शुरू नहीं हो सकी है।
भाजपा प्रदेश कार्यालय एकात्म परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए अग्रवाल ने कहा, विपक्ष में रहते हुए भूपेश बघेल ट्वीट और रमन सिंह को चिट्ठी लिखकर १ नवम्बर से धान खरीदी शुरू करने की मांग करते थे, लेकिन सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री अपनी बात को ही भूल गए। उन्होंने कहा, कंप्यूटराइज व्यवस्था कारण किसानों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। बहुत से किसानों के नाम गायब है। जमीन का रकबा भी कम है। उन्होंने कहा, हमारी सरकार के समय किसानों से पांच बार धान खरीदा जाता था। इस बार इसे घटाकर तीन बार कर दिया गया है। एेसे में जिसके पास जमीन अधिक है, वे किसान कहां जाएंगे? बृजमोहन ने कहा, सरकार कर्जमाफी का ढोल पीट रही है। जबकि हकीकत यह है कि एेसे किसान जो २० साल से कर्ज नहीं पटा पाए हैं और डिफाल्टर हो गए हैं, उनका कर्ज अभी भी नहीं पता है। उन्होंने सरकार ने मांग की है कि लिंकिंग के तहत कर्ज की राशि का समायोजन अभी नहीं होना चाहिए। क्योंकि यह कर्ज ३१ मार्च तक ब्याजमुक्त है।

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