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रायपुर

पैसेंजर ट्रेनों से रेलवे की कमाई 60 करोड़, सफाई-सुरक्षा के नाम पर यात्रियों को ठेंगा

रेल यात्रियों को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में भेदभाव बरतने वाली कार्यप्रणाली की मानसिकता से रेलवे प्रशासन उबर नहीं पाया है

रायपुरJan 22, 2019 / 09:17 am

Deepak Sahu

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पैसेंजर ट्रेनों से रेलवे की कमाई 60 करोड़, सफाई-सुरक्षा के नाम पर यात्रियों को ठेंगा

रायपुर. रेल यात्रियों को सफाई, पानी, सुरक्षा जैसी बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने के मामले में भेदभाव बरतने वाली कार्यप्रणाली की मानसिकता से रेलवे प्रशासन उबर नहीं पाया है। यहां तक कि प्रधानमंत्री का स्वच्छ भारत, स्वच्छ रेल अभियान लोकल गाडिय़ों में शिगूफा जैसा नजर आता है। किसी भी ट्रेन के अंदर या बाहर सफाई के लिए जारी टोल फ्री नंबर-138 दूर-दूर तक नजर नहीं आता। जबकि रेलवे ऐसी पैसेंजर गाडिय़ों के यात्रियों से हर साल जनरल टिकट बेचकर 60 करोड़ रुपए कमाई करता है, लेकिन सुविधाएं नहीं।
रायपुर रेल मंडल के मॉडल स्टेशन में ही ऐसी दोहरी तस्वीरें स्वच्छता की असलियत बयां करती हैं। रेलवे प्रशासन स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक पर मैकेनाइज्ड क्लीनिंग कार्यालय खोला है। लेकिन उसके इर्द-गिर्द टोलफ्री नंबर 138 लिखना जरूरी नहीं समझा। क्योंकि यह नंबर गंदगी की सूचना देने के लिए है। इससे साफ है कि पैसेंजर गाडिय़ों के हजारों यात्रियों को सफाई सुविधा मुहैया कराने में रेलवे की कोई रुचि नहीं है।

एक्सप्रेस पर फोकस
स्वच्छता अभियान का फोकस केवल एक्सप्रेस और मेल जैसी ट्रेनों के लिए ही है। रेलवे की हाउस कीपिंग सुविधा। इन ट्रेनों के यात्री पीएनआर नंबर के साथ कोच में गंदगी की सूचना दे सकते हैं। दावा किया जाता है कि मैसेज फारवर्ड करते ही सफाई कर्मी तुरंत कोच में पहुंचेंगे। लेकिन लोकल गाडिय़ों में ऐसा नहीं होता।

चलती हैं 24 पैसेंजर
रेलवे के आंकड़े पर गौर करे पैसेंजर टिकट से हर साल 60 करोड़ रुपए मिलता है। 24 से अधिक पैसेंजर ट्रेनें रायपुर सेक्शन से होकर चलती हैं। रायपुर से दुर्ग, डोंगरगढ़, बिलासपुर के अलावा गोंदिया, इतवारी, कोरबा, झारसुगड़ा, विशाखापट्टनम्, टिटलागढ़ जैसे क्षेत्रों के लिए हजारों की संख्या में यात्री आना-जाना करते हैं। रेलवे की ऐसी ट्रेनों में यात्रियों को गंदगी के बीच सफर करना पड़ता है। हैरानी की बात यह है कि इन ट्रेनों के टायलेट बोगियों में सफाई के लिए टोल फ्री नंबर 138 डायल करें, जैसी सूचना लिखना मुनासिब नहीं समझा जाता है।

कई जगह लिखा हुआ 182 नंबर डायल करें
सफाई रेलवे की सूची से दरकिनार है। रेलवे कैम्पस के साथ ही ट्रेनों में भी सफर के दौरान किसी भी तरह की घटना के लिए डायल करें 182 नंबर। तुरंत रेलवे पुलिस पहुंचेगी। जैसी सूचना लिखी गई है। लेकिन सफाई के लिए 138 नंबर किसी भी जगह नहीं। न ही पोस्टर लगाया। पैसेंजर ट्रेनों में जरूर कई तरह के पोस्टरों की भरमार नजर आती है।

ऐसी स्थिति में सफर करने की मजबूरी
पैसेंजर ट्रेनों में जैसे यात्री सफर ही नहीं करते हों। चना बूट, मूंगफली के फैले छिलके आम बात है।
रेलवे का स्वच्छ भारत, स्वच्छ रेल अभियान पैसेंजर ट्रेनों में हवा-हवाई
टायलेट में बदबू की भरमार। बाथरूम करने तक रुकना मुश्किल होता है।
बायोटायलेट भर जाने से फिर गंतव्य तक गाड़ी पहुंचने तक साफ ही नहीं होता।

सीनियर पब्लिसिटी इंस्पेक्टर शिव प्रसाद पंवार ने बताया कि यात्रियों से भेदभाव करने जैसी कोई बात नहीं है। पैसेंजर गाडिय़ों में अब टायलेट की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। लोकल के यात्रियों के लिए भी टोल फ्री 138 नंबर है। जागरूकता अभियान चलाए जाएगा।

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