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रायपुर

कैंप से बाहर जाने एसओपी का पालन नहीं, सालभर में 7 ने गंवाई जान

अपहरण व हत्या की वारदातों के बाद जवानों के अकेले निकलने पर लगाई गई थी पाबंदीलापरवाही बन रही वारदातों की वजह

रायपुरSep 04, 2020 / 07:24 pm

ramdayal sao

कैंप से बाहर जाने एसओपी का पालन नहीं, सालभर में 7 ने गंवाई जान

कैंप से बाहर जाने एसओपी का पालन नहीं, सालभर में 7 ने गंवाई जान

raipur/दंतेवाड़ा. माओवाद प्रभावित इलाकों में तैनात जवानों को अवकाश सहित अन्य किसी भी स्थिति में अकेले कैंप से बाहर जाने की मनाही है। इसके लिए सख्त स्टेंडर्ड आपरेशन प्रोटोकाल बनाए गए हैं। इधर देखा जा रहा है कि जवान एसओपी का पालन नहीं कर अकेले ही कैंप से बाहर निकल जा रहे हैं। लापरवाही की वजह से साल भर के भीतर एक गोपनीय सैनिक समेत छह जवानों की हत्या माओवादी कर चुके हैं।
हाल ही में बीजापुर में एक सहायक उपनिरीक्षक की हत्या के बाद पुलिस ने थाना व कैम्प से निकलने के लिए तय एसओपी को और सख्त कर दिया है। जवानों को किसी भी सूरत में अकेले नहीं जाने की हिदायत दी गई है।
इस प्रोटोकाल में अंदरूनी थानों से 30 से कम संख्या में नहीं निकलने, छुट्टी पर जाने की स्थिति में आरओपी यानी रोड ओपनिंग पार्टी लगने पर ही जाने या छुट्टी से वापसी पर भी ऐसी ही सावधानी के साथ आमद देने का प्रावधान एसओपी में किया गया है। जवानों की छुट्टियां बेकार न हो जाएं इसके लिए आरओपी लगने के दिन से ही गणना की जाने लगी है। एसपी डॉ अभिषेक पल्लव का कहना है कि आने जाने की एसओपी काफी पहले से लागू है। इसका पालन करने की सख्त हिदायत दी जाती है। एसओपी का पालन नहीं करने पर ही ऐसी घटनाएं होती हैं। हालांकि जिले में ऐसी घटनाएं बहुत कम हुई हैं।

जवानों की पहचान कर हटाया जा रहा
एसपी के मुताबिक थाने व कैम्पों में नियमित रूप से जवानों की मेंटल व फिजिकल टेस्टिंग हो रही है। जिससे यह पता लगाया जाता है कि उनमें से कोई आदतन शराबी या डिफाल्टर तो नहीं है। किसी को फिजिकल या मेंटल समस्या तो नहीं है। ऐसे जवानों को वहां से हटाया जाता है। इस वजह से अब मुर्गा बाजारों में होने वाली हत्याओं पर पूरी तरह अंकुश लगा है। हाल ही में जो जवान मारे गए हैं वो भी बस्तर के आदिवासी ही हैं। डीआरजी में भर्ती हो रहे ग्रामीणों को रोकने के मकसद से माओवादी इस तरह का कृत्य कर रहे हैं। जंगल मे फोर्स से लडऩे में नाकाम रहने के बाद अब निहत्थे पाकर जवानों को निशाना बनाने की कोशिश में है। यह माओवादियों में आ रहे फ्रस्ट्रेशन का ही नतीजा है।

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