जवानों की पहचान कर हटाया जा रहा
एसपी के मुताबिक थाने व कैम्पों में नियमित रूप से जवानों की मेंटल व फिजिकल टेस्टिंग हो रही है। जिससे यह पता लगाया जाता है कि उनमें से कोई आदतन शराबी या डिफाल्टर तो नहीं है। किसी को फिजिकल या मेंटल समस्या तो नहीं है। ऐसे जवानों को वहां से हटाया जाता है। इस वजह से अब मुर्गा बाजारों में होने वाली हत्याओं पर पूरी तरह अंकुश लगा है। हाल ही में जो जवान मारे गए हैं वो भी बस्तर के आदिवासी ही हैं। डीआरजी में भर्ती हो रहे ग्रामीणों को रोकने के मकसद से माओवादी इस तरह का कृत्य कर रहे हैं। जंगल मे फोर्स से लडऩे में नाकाम रहने के बाद अब निहत्थे पाकर जवानों को निशाना बनाने की कोशिश में है। यह माओवादियों में आ रहे फ्रस्ट्रेशन का ही नतीजा है।