शहरों में 91 की जगह बना दिए 96 थाने
पिछले वर्ष के दौरान राज्य में कुल पुलिसकर्मियों की संख्या 59 हजार 596 थी, जिसमें सिविल पुलिस के साथ साथ स्टेट आम्र्ड पुलिस भी शामिल है जबकि राज्य में लगभग 70 हजार पुलिसकर्मियों के पद स्वीकृत हैं। हाल यह है कि 2017 में छत्तीसगढ़ में शहरी इलाकों में थानों की संख्या स्वीकृत थानों की संख्या से ज्यादा थी वहीँ ग्रामीण इलाकों में कम । आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में मौजूदा समय में 415 थाने हैं जिनमे से 96 थाने शहरी इलाकों में और 314 थाने ग्रामीण इलाकों में थे, जबकि स्वीकृति ग्रामीण इलाकों में 331 और शहरी इलाकों में 91 थानों की थी। दिलचस्प है कि पुलिसकर्मियों की कमी के बावजूद छत्तीसगढ़ सिविल पुलिस में एडिशनल एसपी रैंक पर अतिरिक्त नियुक्तियां कर ली गई है । राज्य में इनके 225 पद सृजित हैं जबकि भर्तियाँ 245 पर की गई हैं । सबसे बुरा हाल सब इन्सेप्क्टर और असिस्टेंट सब इन्स्पेक्टर के पदों का है राज्य में पिछले वर्ष तक इन्स्पेक्टर के रैंक में ***** और एएसआई के रैंक पर 1115 पद खाली थे,वही कांस्टेबलों के 2391 पदों पर भर्तियां की जानी है। आम्र्ड पुलिस बटालियन में एआईजी से लेकर सभी रैंकों तक पुलिसकर्मियों की संख्या बेहद कम हैं हांलाकि ट्रैफिक पुलिस में भर्ती लगभाग ठीक ठाक है ।
437 पर एक पुलिसकर्मी, महिला कर्मी नदारद
दो दिनों के बाद सीआरपीएफ की बस्तरिया बटालियन अस्तित्व में आएगी, जिसमें महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण है । गृह मंत्रालय द्वारा आगामी 21 मई को सीआरपीएफ की बस्तरिया बटालियन को कमीशन करने के लिए हरी झंडी दे दी गई है। इसमें बस्तर के 739 युवा शामिल हैं, जिसमें 33 फीसदी महिलायें हैं लेकिन राज्य पुलिस बल में महिलायें लगभग नदारद हैं । बीपीआरडी की रिपोर्ट बताती है कि राज्य पुलिस में महिलायें दो फीसद से भी कम हैं। मौजूदा समय में राज्य में लगभग 437 लोगों पर एक पुलिसकर्मी है और अगर क्षेत्रफल के हिसाब से देखा जाए तो 2.27 वर्ग किमी पर एक पुलिसकर्मी माओवाद प्रभावित अन्य राज्यों की तुलना में छत्तीसगढ़ में स्थिति बेहतर हैं, लेकिन माओवादी वारदातों के दृष्टिकोण से देखें तो यह संख्या ज्यादा है ।
माओवाद से मुकाबले में कमजोर इंटेलिजेंस
छत्तीसगढ़ में सबसे बुरा हाल इंटेलिजेंस यूनिट का है। आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि राज्य में इंटेलिजेंस विभाग के काफी पद रिक्त पड़े हैं। यह हाल उस वक्त है जब माओवादी अपना सूचना तंत्र विकसित करते जा रहे हैं। स्थिति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि सीआईडी में सब इन्स्पेक्टर के स्वीकृत 49 पदों में से केवल 11 पदों पर भर्तियां हुई हैं वही कांस्टेबल के आधे पद खाली हैं। तमाम माओवादी हमलों के बाद राज्य पुलिस पर इंटेलिजेंस के फेल होने के आरोप लगते रहे हैं। इस स्थिति पर बीएसएफ के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह कहते हैं कि बिना इंटेलिजेंस यूनिट को सशक्त किये पुलिस बल को मजबूत नहीं किया जा सकता। हमें यह मानना होगा कि राज्य पुलिस के आतंक विरोधी दस्ते में डिप्टी एसपी रैंक के 36 में से केवल 4 पद भरे हैं वहीं इसी दस्ते के कुल स्वीकृत 2,732 पदों में से केवल 1,952 पदों पर ही भर्तियां हुई हैं।