ताबीर हुसैन @ रायपुर . जब आप किसी अस्पताल में जाते हैं तो ज्यादातर लोगों के चेहरों में टेंशन साफ झलकती है, वजह भी क्लियर है कि वे या तो मरीज होते हैं या उनके परिजन। एेसे में कुछ फेस एेसे भी होते हैं जो हल्की मुस्कान
के साथ सलीके से पेशेंट से बात कर रहे होते हैं। अपने शब्दों से उनके जीवन में उम्मीद की किरण फैला रहे होते हैं। विनम्रता के साथ उन्हें दवा खाने और इलाज में सहयोग करने की समझाइश देते हैं। वे कोई और नहीं अस्पताल की नर्सेंस होती हैं। पेशेंट और नर्स का रिश्ता सबसे जुदा होता है। 12 मई को इंटरनेशनल नर्स डे पर शहर की कुछ नर्सेस से हमने उनके अनुभव को जाना। इनसे बात करने के दौरान यह बात सामने आई कि फैमिली जरूरी, लेकिन मरीजों की सेवा से बढ़कर कुछ नहीं।
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