दरअसल, साल में सबसे अधिक शादियां अप्रैल, मई और जून महीने में होती रही हैं। लेकिन, इस बार लॉकडाउन के कारण धार्मिक, सामाजिक और वैवाहिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगी रही। अनलॉक खुला, तो अनुमति लेने में पसीना छूट रहा है। मुश्किल से लोगों को विवाह करने की मंजूरी मिल पा रही है। सैकड़ों की संख्या में तहसील के समक्ष अधिकारी के पास लोगों के आवेदन पेंडिंग हैं। इस सबके बीच जिन परिवारों में लड़के-लड़कियों के रिश्ते तय हो चुके हैं, वे अगले साल के लिए टालने के बजाय सादगी से कार्यक्रम निपटाने का प्लान बना चुके हैं।
एक जुलाई से देवशयन पर फिर नवंबर से पहले मुहूर्त नहीं 31 मई से शुक्र अस्त होने के कारण 8 जून तक मांगलिक मुहूर्त नहीं था। पंडित मनोज शुक्ला बताते हैं कि वैवाहिक कार्ड का मजमून बदल चुका है। बहुत कम लोगों की मौजूदगी में ही अब उन्होंने तीन से चार वैवाहिक कार्यक्रम आसपास के ग्रामीण अंचलों में संपन्न कराए हैं। जहां कोई रिसेप्शन नहीं। अब इस महीने में केवल 13, 15, 27, 29 और 30 को मुहूर्त होने से वैवाहिक और उपनयन संस्कार किए जा सकेंगे। पंडित शुक्ल के अनुसार 1 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। इसी दिन से चातुर्मासकाल प्रारंभ हो जाएगा। फिर देवउठनी एकादशी यानी की छोटी दिवाली के बाद 25 नवंबर से शुभमुहूर्त शुरू होंगे।