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रायपुर

पशुओं की वैक्सीन खरीदी में घोटाला ऑर्डर किसी को, भुगतान किसी और को

पशुओं की वैक्सीन खरीदी में भी करोड़ों का घोटाला सामने आया है

रायपुरApr 03, 2018 / 10:12 am

Deepak Sahu

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आवेश तिवारी@रायपुर. पशुओं की वैक्सीन खरीदी में भी करोड़ों का घोटाला सामने आया है। दवा निगम ने पशुओं की वैक्सीन के लिए जिन कंपनियों का टेंडर स्वीकृत किया, पशुधन विभाग ने करोड़ों का भुगतान उन कंपनियों को न करके दूसरों को कर दिया, जो कि दलालों द्वारा बनाई गई थी। इतना ही नहीं पशुधन विकास विभाग द्वारा उन कंपनियों से भी खरीदी की गई, जो टेंडर प्रक्रिया में शामिल नहीं हुईं।

पशुधन विभाग के अफसरों ने पशुओं के लिए जरूरी वैक्सीन की न केवल आवश्यकता से ज्यादा खरीदी, बल्कि उनका भुगतान भी मनमाने ढंग से कर दिया। दस्तावेजों को देखें तो घोटाले की गहराई का पता चलता है। 16 अक्टूबर 2014 को क्रय आदेश संख्या 529 के तहत कमेसर्स इंडियन इम्युनोलॉजिकल हैदराबाद को अलग-अलग वैक्सीनों के लिए एक आदेश जारी किया गया था लेकिन उसका भुगतान एक दिन पूर्व ही अंश मेडिकल रायपुर को कर दिया गया।

जब अंश मेडिकल एजेंसी के लिखे पते पर रायपुर में तहकीकात की गई तो वहां एक शोरूम खुला मिला। इस तरह के वैक्सीन की खरीदी प्रदेश के लगभग सभी जिलों में की गई।

बिलासपुर और दुर्ग की फर्मों से बिना टेंडर दिए खरीदी : पशुधन विभाग के इस गड़बड़ घोटाले में बिलासपुर की कंपनी मोरारका एजेंसीज और दुर्ग की मिलन ट्रेडर्स और फोर्वे लाजिस्टिक नामक कंपनियों का भी नाम सामने आया हैं। इन कंपनियों से भी पशुओं की दवाओं की खरीदी हुई। लेकिन आश्चर्यजनक तथ्य यह है कि इन कंपनियों से खरीदी में कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई गई। दिलचस्प यह है कि इंडियन इम्युनोलॉजिकल हैदराबाद से खरीदी गई वैक्सीन का भुगतान की गई इम्युनोलाजिकल रायपुर के खाते में कर दिया गया।

जब इस सम्बन्ध में इंडियन इम्युनोलॉजिकल के छत्तीसगढ़ के सीएनएफ आशीष नैथानी से संपर्क किया गया तो उन्होंने बताया है कि कंपनी का रायपुर में कोई खाता ही नहीं है, जो भी भुगतान होता है वो सीधे आनलाइन हैदराबाद के खाते में जाता है। उन्होंने बताया कि अंश मेडिकल केवल लायजनिंग एजेंट हैं।

पशुओं के वैक्सीन की खरीदी का मामला विधानसभा में कांग्रेस विधयाक पारस नाथ राजवाड़े ने पिछले महीने विधानसभा में यह सवाल उठाया था, जिसका गोलमाल जवाब दिया गया था। इस मामले में सूचना के अधिकार का इस्तेमाल करने वाले अधिवक्ता डीके सोनी कहते हैं कि जो जानकारी मिल रही है, उससे साफ़ पता चलता है कि कई वैक्सीन को बिना खऱीदे ही उनका भुगतान कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ दवा निगम के प्रबंध निदेशक वी रामाराव ने बताया कि हमारा काम केवल निविदा आमंत्रित करने और रेट कांट्रेक्ट करने तक ही सीमित है। इस मामले में भुगतान की जिम्मेदारी पशुधन विभाग की है। अभी भी हमें टेंडर प्रक्रिया का पूरा भुगतान नहीं मिला है।

छत्तीसगढ़ के पशुधन विकास एवं मछली पालन विभाग के सचिव अनूप कुमार श्रीवास्तव ने बताया कई ऐसे प्रकरण हैं जिनमें स्पष्टीकरण मांगा गया है, कोई भी गड़बड़ी सामने आती है तो कारवाई की जाएगी ।

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