जरूरी नहीं कि खुद गड्ढे में गिर कर देखें कि वहां गड्ढा था
प्रैक्टिल नॉलेज से जो सीख मिलती है वह आजीवन आपके साथ रहती है। जरूरी नहीं कि अपने ही प्रैक्टिल नॉलेज से सीख मिले। अगर कोई कहे कि आगे 50 मीटर की दूरी पर गड्ढा है तो उसकी भी बात मान लेनी चाहिए जरूरी नहीं कि खुद गड्ढे में गिर कर देखें कि वहां गड्ढा था। कोविड के दौरान आर्थिक परेशानियां हुईं। खासतौर पर गांवों में। केंद्रीय पर्यटन विभाग ने एक कम्युनिटी बेस्ड टूरिज़्म कैंपेन शुरू किया। पिछले साल एमपी और गुजरात के ऐसे गांवों में गई थी जहां पर सिग्नल भी नहीं था। बेसिक सुविधाएं नहीं थीं। न शौचालय था न स्नान घर। वहां के लोग 4 किमी चलकर पानी लाया करते हैं। ऐसे में घर के लोगों की चिंता जायज थी। लेकिन मेरा मानना है कि जर्नी और डेस्टिनेशन से ज्यादा जरूरी है आपकी कंपनी क्या है। मेरे साथ 5 और लड़कियां थी जो आर्टिटेक्ट थीं। जो अलग-अलग प्रदेशों से आईं थीं। उनका साहस और उत्साह देखते हुए मैंने यह टास्क लिया।छत पर बैठे-बैठे लिखी कविता
वहां के लोगों को फिक्र थी कि टूरिज़्म के चलते हमारे गांव का शहरीकरण तो नहीं हो जाएगा। जबकि हमारी सोच थी कि वहां की इकॉनमी बढ़े। वहां एक छोटी सी छत थी। मैं अक्सर वहां बैठ जाया करती थी। मैंने वहां एक कविता लिखी-हवा में अदरक की महक घुली जा रही थी
शायद शोभा चौके में चाय बना रही थी
आंगन में आजी सब्जी काट रही थी
मैं अपनी चाय का कुल्हड़ लेकर
रोज सुबह छत पर यूंही बैठ जाती
यहां घरों में सीढिय़ां ऐसी ही खड़ी-खड़ी रहती हैं
छत ज्यादा बड़ी नहीं थी
पर मुझे तो वहां से पुरा आसमान दिख जाता
हर किसी के लाइफ का ग्राफ अलग होता है
जैसे हर इंसान के थम्ब प्रिंट अलग होते हैं। हर किसी के लाइफ का ग्राफ अलग होता है। यहां तक की एक घर में सगे भाइयों का ग्राफ अलग होता है। न स्वभाव और न भाग्य एक जैसा होता है। घरों में किसी मेंबर की किसी से तुलना होती है तो उससे निराश नहीं होना चाहिए। आपका समय कुछ और होगा। समय आप मत तय कीजिए वो ईश्वर पर छोड़ दीजिए। आप मेहनत और ईमानदारी से वही कीजिए जिसमें मजबूत हैं।