जीआइएस सर्वे में किसी का संपत्तिकर पिछले साल से दो से तीन गुना अधिक कर दिया है, तो जलकर भी 2400 के बजाय किसी को 48000 तो किसी को 9600 रुपए का बिल थमा दिया गया। निगम के डिमांड बिल को देखते ही लोग अचंभित हो रहे हैं। बिल में गड़बड़ी को सुधारने के लिए निगम के जोन कार्यालयों के चक्कर काट रहे हैं।
शिक्षा उपकर में भी गड़बड़ी : जीआइएस सर्वे में संपत्तिकर, जलकर के अलावा शिक्षा उपकर की राशि में भी गड़बड़ी गई है। जबकि सभी संपत्तिकर दाताओं को निगम द्वारा निर्धारित शिक्षा उपकर की राशि ही जमा करनी है, लेकिन निगम द्वारा जो डिमांड राशि शिक्षा उपकर के सामने लिखी गई, उसमें भी पिछले साल की तुलना में बढ़ोत्तरी की गई है।
नगर निगम द्वारा ऑनलाइन निर्धारित किए गए डिमांड बिल में इस वर्ष शिक्षा उपकर की रािश 234 रुपए लिखी गई है, जबकि पिछले वर्ष शिक्षा उपकर की राशि 109 रुपए ली गई थी।
यही स्थिति रही तो वेतन के लाले पड़ेंगे
निगम के जानकारों का कहना है कि यही स्थिति रही, तो आने वाले दिनों में निगम को अपने अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन भुगतान करने के लिए राशि के लाले पड़ जाएंगे। क्योंकि दिसंबर माह में अधिकारियों-कर्मचारियों को वेतन देने के लिए खासी मशक्कत करनी पड़ी थी। जनवरी में भी वेतन देने के लिए निगम के वित्त विभाग द्वारा राशि जुटाई जा रही है।
कंपनी की गलती, कर्मियों से सुधरवा रहे
संपत्तिकर निर्धारण में जीआइएस सर्वे करने वाली कंपनी ने गलती की है, जिसका खामियाजा निगम प्रशासन और उनके कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है। जीआइएस सर्वे द्वारा तैयार किए गए डिमांड बिल की गलतियों को सुधारने का जिम्मा निगम प्रशासन ने जोनों के राजस्व निरीक्षक और मोहर्रिरों को सौंपा है। निगम के कर्मचारी दबी जुबान से कह रहे हैं कि जिस कंपनी ने सर्वे के लिए करोड़ों रुपए ली है, उनसे गलती सुधरवाने के बजाय निगम के कर्मचारियों को परेशान किया जा रहा है।
नगर निगम आयुक्त रजत बंसल ने बताया कि जीआइएस सर्वे द्वारा तैयार किए डिमांड बिल में ढेरों गलतियां सामने आ रही है। इसके लिए सर्वे करने वाली कंपनी पर पेनाल्टी लगाई जाएगी। बिल की त्रुटि को सुधारने के लिए 30 मार्च तक का समय निर्धारित किया गया है। लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है।