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रायपुर

कमर्शियल वाहनों की खरीदी में RTO से टैक्स बचाने अब ये तरीका अपना रहे लोग

बड़ी गाडिय़ों के लाइफ टाइम टैक्स और नई गाडिय़ों के टैक्स में विसंगति के चलते अब ट्रांसपोटर्स दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं

रायपुरMar 11, 2019 / 11:09 am

Deepak Sahu

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कमर्शियल वाहनों की खरीदी में RTO से टैक्स बचाने अब ये तरीका अपना रहे लोग

रायपुर. खमतराई निवासी जावेद खान ने हाल ही में ट्रक खरीदा। उन्हें पता चला कि आरटीओ में रजिस्ट्रेशन के लिए इस श्रेणी के ट्रक की कीमत अधिक है। छत्तीसगढ़ में ट्रक पर लगने वाला टैक्स भी अन्य राज्यों के मुकाबले ज्यादा है। ऐसे में इरशाद ने ट्रक का रजिस्ट्रेशन हरियाणा से कराया।
जिसका 57 हजार रुपए कम टैक्स जमा करना पड़ा। आरटीओ में रोजाना कामर्शियल वाहनों के रजिस्ट्रेशन टैक्स को लेकर विवाद की स्थिति बनती है। बड़ी गाडिय़ों के लाइफ टाइम टैक्स और नई गाडिय़ों के टैक्स में विसंगति के चलते अब ट्रंासपोर्टर दूसरे राज्यों का रुख कर रहे हैं।
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ट्रांसपोटर्स बताते हैं कि दूसरे राज्यों से रजिस्ट्रेशन कराने में टैक्स में 20 हजार से लेकर डेढ़ लाख रुपए तक का अंतर आता है। इसके कारण हरियाणा, महाराष्ट्र, गुजरात के अलावा नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में भी ट्रक रजिस्टर्ड करवा रहे हैं। बताया जा रहा है कि आरटीओ के सॉफ्टवेयर में सभी गाडिय़ों के मॉडल के आधार पर कीमत दर्ज है। टैक्स की गणना इसी से होती है। खरीदार डीलर से मोलभाव और संबधों के आधार पर कीमत 50 हजार से 1.5 तक कम करवा लेते हैं, लेकिन सॉफ्टवेयर इसे नहीं मानता।

नियम नहीं, इसलिए दूसरे राज्यों का रुख
परिवहन विभाग में ऐसा नियम नहीं है कि वाहन जहां से खरीदें, वहीं टैक्स जमा कर रजिस्ट्रेशन करवाएं। शहर में हर महीने 250 से ज्यादा बड़ी गाडिय़ां खरीदी जाती हैं। इनमें से 60 से 70 दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड होती हैं। इससे परिवहन विभाग को राजस्व का नुकसान हो रहा है।

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महाराष्ट्र, नगालैंड और हरियाणा में कम लगता है टैक्स
एक ट्रांसपोर्ट ने ट्रक खरीदा, जिसका लाइफ टाइम टैक्स रायपुर आरटीओ में 1.95 लाख रुपए बना। दूसरे ट्रांसपोर्टर ने महाराष्ट्र में गाड़ी की एमआरपी के बजाय खरीदी मूल्य पर टैक्स दिया, उन्हें टैक्स लगा 1.36 लाख, करीब 59 हजार रुपए का अंतर टैक्स जमा करने में आया।

अन्य टैक्स भी ज्यादा
परिवहन अधिकारियों के अनुसार गुजरात में 6 प्रतिशत लाइफ टाइम टैक्स है। छत्तीसगढ़ में लाइफ टाइम टैक्स 7 प्रतिशत है। गुजरात में एक बार जीएसटी लगता है, जबकि छत्तीसगढ़ में दो बार जीएसटी जमा करना पड़ता है। कई राज्यों में बिल के आधार पर टैक्स लगता है। छत्तीसगढ़ में सॉफ्टवेयर के आधार पर बिल देना पड़ता है।

इसलिए चुकाना पड़ता है टैक्स
छत्तीसगढ़ मोटर यान कराधान नियम मुताबिक छत्तीसगढ़ से बाहर रजिस्ट्रीकृत निजी वाहन अस्थायी रूप से 30 दिन से ज्यादा उपयोग होता है तो वाहन मालिक को परिवहन कार्यालय को सूचना देकर टैक्स जमा कराना होगा। टैक्स उसी दिन से शुरु हो जाता है जब उसे पहले दिन छत्तीसगढ़ में लाया गया। परिवहन अधिकारियों की मानें तो बैरियर खत्म होने की वजह से ट्रंासपोटर दूसरे राज्यों की गाडिय़ां बेखौफ होकर प्रदेश में दौड़ा रहे हैं।

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विभाग के पास नहीं रिकार्ड
प्रदेश में लगभग 90 लाख ट्रक और ट्रेलर है। इनमें से दूसरे राज्यों की कितनी गाडिय़ां है, इसका अधिकृत रिकार्ड परिवहन कार्यालय में नहीं है। पिछले 3 महीने में दूसरे राज्यों की कितनी गाडिय़ों पर कार्रवाई की गई है? इस बात की जानकारी देने से परिवहन के अधिकारी बच रहे है। विभागीय सूत्रों की मानें तो फ्लाइंग की टीम विभाग ने बनाई है, लेकिन हाफ टाइम बाद उन्हें कार्यालय के काम में लगा दिया जाता है, जिस वजह से ठोस कार्रवाई दूसरे राज्यों में गाडिय़ा रजिस्टर्ड कराने वाले वाहन स्वामियों पर नहीं हो रही है।

75 प्रतिशत गाडिय़ा दूसरे राज्य की
टाटीबंध और भनपुरी के ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के अनुसार उनके थानाक्षेत्र में काम करने वाले ट्रंासपोटरों के पास लगभग 75 प्रतिशत गाडिय़ा दूसरे राज्य की है। ट्रांसपोटर के पास पार्र्किंग की उचित व्यवस्था नहीं है, तो रिंग रोड़ के दोनो तरफ गाडिय़ों को पार्क करके फरार हो जाते है। कार्रवाई करो तो रसूख का दम दिखाते हुए ट्रांसफर करवाने की बात कहते है।

परिवहन विभाग के सेंट्रल फ्लाइंग टीम प्रभारी राम कुमार ध्रुव ने बताया कि यदि दूसरे राज्यों में रजिस्टर्ड गाडिय़ां का उपयोग शहर में करना है, तो वाहन स्वामी को उसकी सूचना परिवहन कार्यालय में जमा करवानी पड़ेगी। सूचना देने पर वाहन चालक को टैक्स के साथ शुल्क भी पटाना होगा। दूसरे राज्यों की कितनी गाडिय़ा राजधानी में चल रही है, इसकी अधिकृत जानकारी नहीं है। अभियान चलाकर दूसरे राज्यों की कामर्शियल गाडिय़ों पर कार्रवाई की जाएगी।

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