scriptPHD का सपना रहा अधूरा, दूसरे इनकी रचनाओं पर कर रहे शोध | PhD's dream was incomplete, PhD doing the other on his compositions. | Patrika News
रायपुर

PHD का सपना रहा अधूरा, दूसरे इनकी रचनाओं पर कर रहे शोध

प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार गिरीश पंकजलेखन में व्यस्तता के चलते नहीं कर पाए शोध, जबकि एक विषय पर रजिस्ट्रेशन भी करवा लिया था

रायपुरFeb 23, 2018 / 05:23 pm

Tabir Hussain

cg news
ताबीर हुसैन@रायपुर. पिता ने कहा था कि तुम भी पीएचडी कर लो। एक सबजेक्ट पर रजिस्टे्रशन भी करा लिया था। लेकिन लेखन में व्यस्तता के चलते नहीं कर पाया। जब मेरे साहित्य पर शोध कार्य होने लगे तब एक दिन पिताजी ने मुस्कुराते हुए कहा कि तुमने पीएचडी नहीं की, पर अब तुम पर पीएचडी हो रही है। यह मेरे लिए गर्व की बात है। आज पिताजी नहीं है।, लेकिन उनकी यह बात हमेशा याद आती है। यह कहना है प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार और व्यंग्यश्री सम्मान से नवाजे गए गिरीश पंकज का। वैसे तो इनकी रचनाओं और सम्मान की फेहरिस्त काफी लंबी है। रोचक बात है कि शोध नहीं कर पाए पर इनके साहित्य शोध का विषय जरूर बन गए।

इन विषयों पर शोध

गिरीश पंकज के व्यंग्य साहित्य का अनुशीलन – नागराज (कर्नाटक वि वि, हासन)
गिरीश पंकज के सामाजिक व्यंग्य का भाषिक अध्ययन – सत्यशील चौहान ( राष्ट्रसंत तुकडोजी महराज नागपुर वि वि , नागपुर , सत्र 2013 14 )
विनोदशंकर शुक्ल तथा गिरीश पंकज की व्यंग्य रचनाओं का सामाजिक अनुशीलन – सविता सिंह ( पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर 2017 )
गिरीश पंकज के व्यंग्य : एक अनुशीलन – जमुनाप्रसाद बामने ( बरकतुल्ला विवि, भोपाल)
समकालीन व्यंग्य-लेखन का परिदृश्य और गिरीश पंकज का प्रदेय -लता गोस्वामी ( डॉ सीवी रमन विवि कोटा , बिलासपुर)
गिरीश पंकज के उपन्यासों में सामाजिक सरोकार – विजय व्यवहार ( पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर 2011 -12 )
गिरीश पंकज के व्यंग्य साहित्य में समस्या निरूपण – दुर्गा डडसेना ( पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर 2011 -12 )
छत्तीसगढ़ के छह व्यंग्य उपन्यासों का अनुशीलन – अनिमेष सुराणा ( पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय )
व्यंग्य साहित्य के विकास में गिरीश पंकज का योगदान – रुचि अर्जुनवार ( रानी दुर्गावती विवि, जबलपुर )

लघुशोध कार्य

गिरीश पंकज के व्यंग्य साहित्य का मूल्यांकन – लघुशोध / दिनेश उपाध्याय ( पं रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय 2002 -3 )
गिरीश पंकज के व्यंग्य उपन्यास मिठलबरा की आत्मकथा का साहित्यिक अनुशीलन – लघुशोध / प्रीतमकुमार दास रविवि 2003-4 )
गिरीश पंकज के व्यंग्य संग्रह मंत्री को जुकाम का साहित्यिक अनुशीलन – लघुशोध / अरुणा श्रीवास्तव (पं रविशंकर शुक्ल विवि 2006 -7)
गिरीश पंकज की इक्यावन व्यंग्य रचनाएं: एक अध्ययन – रम्मा पी एन ( मदुरै कामराज युनिवर्सिटी, कर्नाटका )
गिरीश पंकज के व्यंग्य उपन्यास पॉलीवुड की अप्सरा में व्यंग्यात्मक बोध – लघुशोध /जसप्रीत कौर (हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, 2009 )
गिरीश पंकज के व्यंग्य संग्रह सम्मान फिक्सिंग का अनुशीलन – जसप्रीत कौर ( गुरुनानक विश्वविद्यालय , अमृतसर)
व्यंग्य उपन्यास पॉलीवुड की अप्सरा में व्यंग्यात्मक बोध – लघुशोध /जसप्रीत कौर (हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, 2009 )
गिरीश पंकज के व्यंग्य संग्रह सम्मान फिक्सिंग का अनुशीलन – जसप्रीत कौर ( गुरुनानक विश्वविद्यालय , अमृतसर)

सार्थकता का होता है बोध
पंकज कहते हैं, अपने लिखने की सार्थकता का बोध होता है और सबसे संतोष की बात यह है कि मुझ पर जितने भी लोगों ने शोध कार्य किया है, उन्हें मैं पहले जानता ही नहीं था। वे सब खुद मेरी रचनाओं के निकट गए और शोध कार्य किया। मेरे व्यंग्य संग्रहों पर आठ अन्य लोगों ने लघु शोध भी किया है। इस तरह मेरे शोध कार्यों की संख्या लगभग बीस हो गई है। यह देखकर मुझे बड़ी खुशी होती है । किसी भी लेखक के लिए यह गर्व का विषय हो सकता है कि उसके साहित्य को समाज में मान्यता मिल रही है। शोध कार्य इसी बात का परिणाम है ।

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