किसान आंदोलन के दौरान हुई हिंसा पर छत्तीसगढ़ में गरमाई सियासत, कांग्रेस-बीजेपी में बयानबाजी शुरू
- लाल किले की घटना सरकार प्रायोजित: चौबे
- राज्य सरकारों की भूमिका की हो जांच : रमन

रायपुर. दिल्ली में किसान आंदोलन (Farmer Violence in Delhi) के दौरान हुई हिंसा का असर छत्तीसगढ़ में भी दिखाई पड़ रहा है। इसे लेकर नेताओं के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने इस हिंसा को सरकार प्रायोजित बताया है। वहीं पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने 'ट्रैक्टर रैली' को 'टेरर रैली' बनाकर दिल्ली को अगवा करने की साजिश बताया है। उन्होंने ने तो आंदोलन की समर्थक राज्य सरकारों व नेताओं की भूमिका को भी सख्त जांच के दायरे में रखने की मांग उठाई है।
कृषि मंत्री चौबे ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए हिंदुस्तान के लोकतंत्र में हिंसा और तोड़फोड़ का कोई स्थान नहीं है। लेकिन, लाल किले में सामान्य दिनों में कोई व्यक्ति घुस भी नहीं सकता। लाल किला इतना सुरक्षित एरिया माना जाता है, कि वहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता। इसके बाद भाजपा के सांसद का सबसे करीबी व्यक्ति झंडा लेकर लालकिला की प्राचीर पर चढ़ जाए और झंडा फहराए तो यह दूर से दिखाई देता है कि यह सरकार के द्वारा प्रायोजित घटना है।
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इधर, पूर्व मुख्यमंत्री रमन ने कहा, किसान आंदोलन के नाम पर मुख्यमंत्री समेत कांग्रेस के मंत्रियों, जनप्रतिनिधियों ने कृषि कानूनों के नाम पर झूठ फैलाया। आज वे सब इस आंदोलन से पल्ला झाड़ रहे हैं। इस हिंसा में उन राजनीतिक नेताओं व राज्य सरकारों का भूमिका को जांच के दायरे में लाया जाए। हिंसा और अराजकता फैलाने वाले जिम्मेदार तथा-कथित किसान नेताओं पर कड़ी कार्रवाई हो।
सिंहदेव बोले- गांधी और नेहरु के आदर्शों की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा, आज देश को महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरु के आदर्शों की जरूरत है ताकि प्रदर्शनकारी किसानों और सरकार के बीच एक समन्वय बने। हिंसा कभी कोई समाधान नहीं लाता। केंद्र सरकार जल्द से जल्द काले कानून वापस ले लें, ताकि शीघ्र शांति बहाल हो।
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कांग्रेस बोली- 'राजहठ' छोड़ 'राजधर्म' के मार्ग पर चले
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा, लोकतंत्र में इस प्रकार की घटनाओं के लिए कोई स्थान नहीं। उन्होंने कहा, मोदी सरकार द्वारा किसानों के प्रति अपनायी गई 'थकाओ और भगाओ' की नीति देश हित में नहीं है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को 'राजहठ' छोड़ 'राजधर्म' के मार्ग पर चलना होगा। तीन खेती विरोधी काले कानून वापस लेने की देश के 62 करोड़ अन्नदाताओं की पुकार भी है और हुंकार भी।
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