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रायपुर

OMG! 1185 की आबादी वाले इस गांव में, 235 लोग किडनी की बीमारी से ग्रस्त, अब तक 71 लोगों की मौत

महज 1185 की आबादी वाले इस गांव में अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है। और तो और 235 लोग अब भी किडनी की बीमारी से ग्रस्त है। लगातार मौतों और बढ़ते मरीजों से गांव में दहशत का आलम है।

रायपुरOct 16, 2019 / 07:54 pm

bhemendra yadav

OMG! 1185 की आबादी वाले इस गांव में, 235 लोग किडनी की बीमारी से ग्रस्त, अब तक 71 लोगों की मौत

gram pancayat supebeda

रायपुर। छत्तीसगढ़ का एक ऐसा गांव जहां किडनी की बीमारी से मौतों का सिलसिला अब तक जारी है। महज 1182 की आबादी वाले इस गांव में अब तक 71 लोगों की मौत हो चुकी है। और तो और 235 लोग अब भी किडनी की बीमारी से ग्रस्त है। लगातार मौतों और बढ़ते मरीजों से गांव में दहशत का आलम है।

71 पहुंचा मरने वालों आंकड़ा, राज्यपाल से शिकायत

एक आंकड़े के अनुसार पिछले तीन साल में किडनी की बीमारी से पीडि़त सुपेबेड़ा के 71 लोगों की मौत हो चुकी है। यही नहीं गांव में 235 से ज्यादा किडनी मरीज बेहतर इलाज के लिए परेशान हैं। बीते 15 अक्टूबर को किडनी बीमारी से पीडि़त अकालू मसरा की भी मौत हो गई। अकालू के इलाज में परिवार की आधी से ज्यादा जमीन भी बिक चुकी है, लेकिन उसके बावजूद भी उसे बचाया नही जा सका। इधर महासमुंद संसदीय क्षेत्र से भाजपा सांसद चुन्नीलाल साहू ने सुपेबेड़ा के हालात को लेकर राज्यपाल अनुसुइया उइके से शिकायत की है। चुन्नीलाल साहू ने बताया कि राज्यपाल को सुपेबेड़ा के हालात की पूरी जानकारी दी गई है। जल्द ही राज्यपाल भी वहां दौरे के लिए जा सकती हैं।

हालात सुधरने की बजाय और भी बिगड़ रहे

गरियाबंद जिले की देवभोग तहसील के अंतर्गत सुपेबेड़ा गांव आता है। इस गांव में सरकार की घोषणाएं बेअसर साबित होती नजर आ रही हैं। सरकार लगातार ग्रामीणों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का दावा करती आ रही है, मगर यहां के हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ते ही जा रहे हैं।

45 फीसदी महिलाएं हो गई विधवा

गांव के निवासी त्रिलोचन सोनावनी कहते हैं, ‘सरकार का कहना है कि उनके गांव का पानी खराब है। जिसमें आर्सेनिक-फ्लोराइड का मिश्रण ज्यादा है। वे आगे सवाल उठाते हैं, ‘2005 के पहले तो ऐसी अस्वाभाविक मौतें होती नहीं थीं। जो हुआ इसी दौरान हुआ है। गांव में किसी परिवार में बुजुर्ग नहीं बचे हैं। 10-12 वर्ष के बच्चों तक की किडनी खराब हो रही हैं। अब तक 45 फीसद महिलाएं विधवा हो चुकी हैं।Ó

पानी में मिला है हैवी मैटल

राजधानी रायपुर स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने सुपेबेड़ा की मिट्टी का परीक्षण किया था। मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट और दिल्ली के डॉक्टर भी अपने स्तर पर जांच कर चुके हैं। जबलपुर आईसीएमआर की टीम भी यहां जांच के लिए पहुंची। पीएचई विभाग ने पानी की जो जांच की थी, उसमें उन्हें फ्लोराइड और आरसेनिक की मात्रा ज्यादा मिली थी। उसके समाधान के लिए गांव में फ्लोराइड रिमूवल प्लांट लगा दिया गया था, मगर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा की गई मिट्टी की जांच में हैवी मैटल पाए गए थे, जिसमें कैडमियम और क्रोमियम की भी ज्यादा मात्रा होना शामिल था।

पल्ला झाड़ रहे अधिकारी

ग्रामीण गांव की बदनामी ना हो उसके लिए खुलकर मौत का कारण को सामने नहीं ला रहे हैं। इसका फायदा उठाते हुए जिम्मेदार अधिकारी जिम्मेदारी से बचने के लिए अपना अपना पल्ला झाड़ रहे हैं। जब कभी किसी ग्रामीण की मौत होती है तो वे कभी मौत की वजह उसकी उम्र बताते हैं और कभी उसकी बीमारी। ऐसे में आखिर कैसे यहां के हालात सुधरेंगे जब हम समस्या को स्वीकार करने तैयार ही न हो।

शादी के लिए तैयार नहीं, कंवारे ही रह जा रहे युवक-युवतियां

यहां लोग किसी शादी समारोह की शान देखने के लिए कई वर्षों से आस लगाए बैठे हैं। यहां कई युवक-युवतियां ऐसे हैं, जिनकी शादी की उमर निकल रही है, लेकिन उन्हें जीवन साथी बनाने के लिए कोई तैयार नहीं। इस गांव के नाम से ही लोग रिश्ता जोडऩे से कतराने लगते हैं। शादियां न होने की वजह से बच्चे भी नहीं हो रहे और यहां के लोग अपने गांव के अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहे हैं। सुपेबेड़ा में किडनी की बीमारी को लेकर इस कदर दहशत है कि लोग पलायन कर रहे हैं।

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