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रायपुर

कब रुकेगी मनमानी

निजी स्कूलों द्वारा आरटीइ के तहत गरीब बच्चों को दाखिला देने में हीलाहवाला

रायपुरJun 21, 2018 / 07:48 pm

Gulal Verma

cg news

कब रुकेगी मनमानी

प्रदेश में निजी स्कूलों की मनमानी और मनमर्जी चरम पर है। राजधानी रायपुर के निजी स्कूलों में शिक्षा के अधिकार कानून के तहत चयनित बच्चों के दस्तावेजों के परीक्षण के नाम पर प्रबंधकों द्वारा अभिभावकों को परेशान करना और आधी फीस की मांग करना चिंतनीय है। इन स्कूलों में आरटीइ की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। मनमानी फीस वसूल कर अभिभावकों को लूटना और आरटीइ के तहत गरीब बच्चों को दाखिला देने में हीलाहवाला करना आम बात हो गई है। चिंतनीय इसलिए भी कि गरीब बच्चे नर्सरी, केजी वन और पहली कक्षा में नि:शुल्क प्रवेश के साथ ही गुणवत्तायुक्त शिक्षा से वंचित हो जाएंगे। आरटीइ का उद्देश्य पूरा नहीं हो पाएगा, सो अलग।
शिक्षा को व्यवसाय और शिक्षा के मंदिर को दुकान बनाने तथा गरीब बच्चों को प्रवेश देने में अड़ंगा डालने वाले निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने से सरकार की नीति और नीयत पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। सरकार चाहे जितना ही शिक्षा का अधिकार कानून का पालन करने का दावा करे, लेकिन हकीकत किसी से छिपी नहीं है। नौकरशाहों की कर्तव्यहीनता भी जगजाहिर है। बावजूद इसके सरकार के नुमाइंदे और सत्तारूढ़ पार्टी के कर्णधार मूकबधिर बने रहते हैं। क्या वे नहीं चाहते कि निजी स्कूलों की मनमानी रुके? अभिभावक लुटने से बचें? जब सरकार ही ढुलमुल नीति अपनाएगी तो फिर ‘सैंया भए कोतवाल, तो डर काहे काÓ कहावत चरितार्थ होगी ही। अनियमितता बरतने पर दो-चार नामी-गिरामी स्कूलों का रजिस्ट्रेशन निरस्त हो जाता तो किसी का साहस नहीं होता कानूनों की खिल्ली उड़ाने का। आरटीइ में गरीबों से दूसरे तरीकों से वसूली करने का। जब तक शिक्षादान की ईमानदार इच्छाशक्ति स्कूल संचालकों के मन में नहीं आती, तब तक गरीब बच्चों के साथ समानता के व्यवहार की उम्मीद बेमानी है।
बहरहाल, सरकार को नियमों का उल्लंघन करने वाले निजी शिक्षण संस्थानों की मान्यता तत्काल रद्द करनी चाहिए। कानून, सरकार व समाज की आंखों में धूल झोंकने वालों पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
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