कैसे बनेगा आक्सीजोन
पांच सौ से अधिक पेड़ उखाड़ कर फेंका
छत्तीसगढ़ की न्यायधानी में शुमार बिलासपुर शहर में वन विभाग ने आक्सीजोन के लिए पांच सौ से अधिक पेड़ लगाए थे, जिसे नगर निगम द्वारा तारामंडल बनाने के लिए उखाड़ कर फेंकवा दिया गया। वन विभाग ने आक्सीजोन के लिए लगभग सात लाख खर्च किए थे। सवाल यह है कि आम जनता के धन को इस तरह से फंूका जाना कहां तक न्याय संगत है? क्या इस तरह की कवायद से आक्सीजोन बन पाएगा? क्या इस तरह से शहरी पर्यावरण को हरा-भरा बनाया जा सकेगा? क्या पेड़-पौधों को उखाड़े जाने से हमारे हरियर छत्तीसगढ़ का सपना साकार हो सकेगा?
वन विभाग ने एक साल पहले व्यापार विहार में आक्सीजोन का निर्माण किया था। इसके चारों ओर तार का बाड़ लगाकर कर आठ-दस फीट लम्बे हो चुके हरे-भरे पौधे लगाए गए। पौधों को जीवित रखने के लिए वन विभाग द्वारा तीन टंकियों का निर्माण किया गया। सिंचाई के लिए दो चौकीदार भी रखे गए। लेकिन नगर निगम ने वन विभाग के आक्सीजोन बनाने के सपने को अब तार-तार कर दिया है। सारे हरे पेड़ उखाड़ दिए गए हैं। इसकी जानकारी मिलने पर वन विभाग के डीएफओ एसएस कंवर ने मौका मुआयना कर हरिहर छत्तीसगढ़ योजना के अधिकारी को रिपोर्ट भेजी है। आगे आक्सीजोन में खर्च हुए ७ लाख रुपए की वसूली के लिए नगर निगम को नोटिस भेजा जाएगा, यानी दोनों विभागों के बीच अब नोटिस-नोटिस का खेल खेला जाएगा।
पिछले दिनों बिलासपुर शहर के विभिन्न हिस्सों में हजारों पौधे लगाए गए, लेकिन उनकी दशा भी कमोवेश इस आक्सीजोन की तरह ही है। ज्यादातर पौधे पानी के अभाव में सूख रहे हैं या छुट्टा घूमने वाले मवेशियों के ग्रास बन रहे हैं। ऐसी स्थिति में शहरों को कैसे आक्सीजोन बनाया जा सकेगा, अत्यंत सोचनीय है। प्रदेश की रहनुमाई करने वालों को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
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