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रायपुर

CG history : अंग्रेजों के ज़माने का ऐतिहासिक गेट, जो है रानी विक्टोरिया के खिताब का साक्षी है ,आज भी है रायपुर की शान

History and Culture of Chhattisgarh : राजधानी में आज भी अंग्रेज जमाने के ऐतिहासिक गेट, संग्रहालय और स्मारक मौजूद है जो अपने गौरवशाली इतिहास की गाथाओं को समेटे हुए हैं। इनकी चमक आज भी देखी जा सकती है।

रायपुरJun 09, 2023 / 01:32 pm

चंदू निर्मलकर

CG history : अंग्रेजों के ज़माने का ऐतिहासिक गेट, जो है रानी विक्टोरिया के खिताब का साक्षी है ,आज भी है रायपुर की शान

CG history : अंग्रेजों के ज़माने का ऐतिहासिक गेट, जो है रानी विक्टोरिया के खिताब का साक्षी है ,आज भी है रायपुर की शान

History and Culture of Chhattisgarh : रायपुर . राजधानी में आज भी अंग्रेज जमाने के ऐतिहासिक गेट, संग्रहालय और स्मारक मौजूद है जो अपने गौरवशाली इतिहास की गाथाओं को समेटे हुए हैं। इनकी चमक आज भी देखी जा सकती है।
History and Culture of Chhattisgarh : इनमें से एक है शहर के ऐतिहासिक स्थल जय स्तंभ चौक पर स्थित रविभवन का मुख्य गेट केसर ए हिंद दरवाजा। समय के पहिओं ने भले ही यादों को धुंधली कर दी हो लेकिन आज भी यह रायपुर की शान है। इतिहासकार आचार्य रमेंद्रनाथ मिश्र ने केसर ए हिंद दरवाजा के निर्माण से जुड़ी कहानी को साझा किया। जानते हैं उनकी जुबानी।
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तोड़ने की बनी थी योजना

History and Culture of Chhattisgarh : साल 1997-98 में पहला सुपर मार्केट बनाने की प्लांनिग हुई तो इसके लिए जयस्तंभ चौक से लेकर शारदा चौक तक कई तोड़फोड़ हुए। इस दौरान केसर ए हिंद दरवाजे को भी तोड़ने की योजना थी, जिसे लेकर काफी विरोध प्रदर्शन हुए। जिसके बाद निगम ने दरवाजे को छोड़कर व्यावसायिक परिसर बनाया गया और इसका मुख्य दरवाजा इसी भव्य गेट को रखा गया। तब से लेकर आज तक निगम इसकी देखरेख कर रहा है।
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1877 में हुआ निर्माण

History and Culture of Chhattisgarh : इंग्लैड की महारानी विक्टोरिया को केसर ए हिंद की उपाधि दी गई थी। 1877 में जब रायपुर आई थी। तक उनके स्वागत के लिए यह दरवाजा बनाया गया। तब से लेकर इसे केसर ए हिंद दरवाजा नाम पड़ गया। इसे बोलचाल की भाषा में लाल दरवाजा भी कहा जाता है। इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सहेजा गया है। इस तरह यह दरवाजा 146 साल पुराना है।
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चमक आज भी बरकरार

History and Culture of Chhattisgarh : यह ऐतिहासिक दरवाजा रानी विक्टोरिया की याद ताजा करता है। बताते हैं कि जब से छत्तीसगढ़ अस्तित्व में आया तब से ही राज्य में यह चार मीनार के नाम से विख्यात है। आज सालों गुजरने के बाद भी केसर ए हिंद दरवाजे की चमक बरकरार है।

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