ऐसे करते हैं खेल
टिकट दलाल एक आईडी का पंजीयन कराते हैं फिर कई अलग-अलग आईडी से खुलेआम अवैध रूप से ई-टिकट कारोबार चला रहे हैं। यहां तक स्टेशन परिसर के अंदर आकर ही लोगों को 200 से 300 रुपए अधिक लेकर कन्फर्म टिकट बेचने की हिम्मत करते हैं। जबकि आम यात्री ऑनलाइन ई-टिकट खुद की आईडी से एक या दो टिकट बुक कराने की कोशिश करता है तो दस बार सिस्टम हैंग हो जाता है। काफी कोशिशों के बाद उसे ई-टिकट हासिल हो पाता है। लेकिन ई-टिकट दलालों के पास तत्काल से लेकर प्रीमियम टिकट सैकड़ों की संख्या में होती है।काउंटर खुलते ही शटडाउन
टिकट दलालों पर रेलवे शिकंजा नहीं कस पाया है। ई-टिकट सिस्टम को बढ़ावा देने के साथ जिस तेजी अवैध रूप से टिकट बेचने का कारोबार बढ़ा है, वह हैरान करने वाला है। रेलवे प्रशासन तत्काल कोटे के समय बदला है। फिर भी इसका लाभ पीक यात्री सीजन में नहीं मिल पा रहा है। जैसे ही सुबह 10.30 बजे एसी और 11 बजे स्लीपर कोच का तत्काल कोटा शुरू होता है तो रेलवे के ही मुख्य रिजर्वेशन काउंटर में कभी एक या दो तो कभी एक भी टिकट जरूरतमंद यात्रियों को नहीं मिल पाता है और तत्काल कोटा शटडाउन हो जाता है।मोबाइल के इनबॉक्स में ही चार लाख का टिकट
रायपुर रेल मंडल के हर सेक्टर में छोटे से लेकर बड़े बाजारों में अवैध रूप से ई-टिकट का कारोबार जाल बिछा हुआ है। सुरक्षा अमले के आंकड़े बताते है कि विगत दिनों प्लेटफार्म एक पर दुर्ग साइड गुढिय़ारी का एक युवक पकड़ में आया, जिसके मोबाइल फोन इनबॉक्स में 4 लाख रुपए का ई-टिकट पकड़ा गया।