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CG में पुलिस वालों को मिलेगा वीकली ऑफ, HC ने गाइडलाइन बनाने के दिए निर्देश

locationरायपुरPublished: Dec 03, 2016 12:16:00 pm

प्रदेश के 60 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को जल्द ही वीकली ऑफ के अलावा बुलेट प्रूफ जैकेट, मकान- वाहन भत्ते और शिफ्ट में ड्यूटी का लाभ मिल सकता है। 

CG police personnel to get weekly off

Chhattisgarh High court

राजकुमार सोनी/रायपुर. प्रदेश के 60 हजार से ज्यादा पुलिसकर्मियों को जल्द ही वीकली ऑफ के अलावा बुलेट प्रूफ जैकेट, मकान- वाहन भत्ते और शिफ्ट में ड्यूटी का लाभ मिल सकता है। बिलासपुर हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजय अग्रवाल ने इस बारे में एक कमेटी गठित कर गाइडलाइन तैयार करने के निर्देश दिए हैं। कमेटी में सेवानिवृत पुलिस महानिदेशक विश्वरंजन, गृह और वित्त विभाग के सचिव और रायपुर पुलिस अधीक्षक को नामित किया गया है। कमेटी के सदस्य राज्य के पुलिसकर्मियों से बातचीत और सुझाव के आधार पर रिपोर्ट तैयार कर सरकार और न्यायालय को सौपेंगे।

बर्खास्त आरक्षक ने लगाई थी याचिका
भारतीय पुलिस व राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों के यूनियन की तर्ज पर पुलिस यूनियन के गठन की कवायद करने वाले एक बर्खास्त आरक्षक राकेश यादव ने कोर्ट में 7 अक्टूबर 2015 को याचिका दायर की थी।

याचिका में कहा गया था, पुलिस के आला अफसर निचले तबके के पुलिस कर्मियों से दिन-रात काम तो लेते हैं, लेकिन इस दौरान इस बात का ख्याल नहीं रखा जाता है कि काम की अधिकता से पुलिसकर्मी का शरीर भी पस्त और अवसादग्रस्त हो सकता है। यादव का कहना था कि वीकली ऑफ नहीं मिलने से प्रदेश के पुलिसकर्मी रोग से ग्रसित होकर तनावपूर्ण जीवन जीने को मजबूर है।

याचिका में यह भी कहा गया था कि बस्तर में माओवादियों से लोहा लेने के लिए पुलिस के जवानों को लगभग 8 से 10 किलोग्राम की वजनी जैकेट पहननी पड़ती है, लेकिन अगर जैकेट अत्याधुनिक होगी और उसका वजन 3 से 4 किलो होगा तो माओवादियों से मोर्चा लेना आसान होगा। याचिका में ड्यूटी के दौरान वाहन भत्ता और बाजार दर पर मकान भत्ता देने की मांग भी शामिल की गई थी। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने मानवाधिकारों का हवाला देकर पाली (शिफ्ट) के आधार पर काम लिए जाने को लेकर भी अपने सुझाव दिए थे।

घुमाना पड़ता है कुत्ते और बच्चों को
प्रदेश के कुछ वरिष्ठ अफसरों ने पुलिसकर्मियों की डयूटी अपने बंगले में लगा रखी है। याचिकाकर्ता यादव का कहना है कि उनकी पुलिस यूनियन गठित करने संबंधी याचिका फिलहाल कोर्ट में लंबित है। यदि इस याचिका पर भी कोर्ट कोई निर्णय देती है तो पुलिसकर्मी अफसरों के कुत्तों और बच्चों की चाकरी करने से बच जाएंगे। याचिकाकर्ता ने बताया कि जब उन्होंने यूनियन गठित करने की पहल की थी तब उन्हें इस आरोप में बर्खास्त कर दिया गया था कि वे संविधान के खिलाफ काम कर रहे हैं।
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