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रायपुर

लोकसभा चुनाव के नतीजों से बढ़ी कांग्रेसी पार्षदों की बैचेनी, 5 महीने पहले हुए सक्रिय

राजधानी में नगर निगम चुनाव में भी जिस वार्ड में कांग्रेसी पार्षद हैं, वे अब ये मंथन करने में लगे हैं कि लोकसभा चुनाव की तरह उनका भी सूपड़ा साफ न हो जाए।

रायपुरMay 24, 2019 / 08:29 pm

चंदू निर्मलकर

CG News

लोकसभा चुनाव के नतीजों से बढ़ी कांग्रेसी पार्षदों की बैचेनी, पांच महीने पहले हुए सक्रिय

रायपुर. छत्तीसगढ़ में लोकसभा (Lok Sabha Election) चुनाव में भाजपा (BJP) को मिली बंपर जीत के बाद जहां कांग्रेसियों (Lok Sabha Election Result) को सांप सूंघ गया है, वहीं अब नगरीय निकाय चुनाव (Municipal Corporation Election) की चिंता भी अब कांग्रेसी (Congress) पार्षदों को सताने लगी है। आने वाले पांच माह बाद नगरीय निकायों के चुनाव होने वाले हैं।
राजधानी में नगर निगम चुनाव (Raipur Nagar Nigam) में भी जिस वार्ड में कांग्रेसी पार्षद हैं, वे अब ये मंथन करने में लगे हैं कि लोकसभा चुनाव की तरह उनका भी सूपड़ा साफ न हो जाए। इसलिए बेहतर यही होगा कि वार्ड में ज्यादा से ज्यादा काम करने होंगे। जो भी पब्लिक अपनी समस्या लेकर आएगी, उसकी समस्या के निदान के लिए एड़ी चोंटी को जोर लगाना होगा, चाहे वह भाजपा समर्थित हो या फिर कांग्रेस के इसी में भलाई है।

लाटरी पर टिकी हुई है सभी की निगाहें
वार्डों के परिसीमन और वार्डों के आरक्षण के लिए निकलने वाली लॉटरी पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं। वर्तमान में जो वार्ड एसटी-एससी, ओबीसी, सामान्य और महिला के लिए आरक्षित हंै, उसमें बदलाव हो सकता है। ऐसे में कुछ पार्षदों को दूसरे वार्ड में जाकर चुनाव लडऩा पड़ सकता है। इसी तरह महापौर की सीट पर कई नेताओं की निगाह है। इस बार रायपुर में महिला सामान्य सीट होने की उम्मीद लगाई जा रही है। वार्डों में जो पार्षद चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे थे, वे अभी वे टिकट की जुगाड़ में लग गए हैं। भाजपा और कांग्रेस नेताओं से उनकी नजदीकियां बढ़ाने लगी है।

पार्षदों का तर्क- स्थानीय मुद्दे रहेंगे हावी
लोकसभा चुनाव का परिणाम आने के बाद कुछ पार्षदों से बात की गई। कांग्रेसी पार्षदों का तर्क है कि वार्ड चुनाव बिल्कुल अलग होते हैं। स्थानीय मुद्दों पर चुनाव होता है, इसलिए इसकी तुलना लोकसभा चुनाव से बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रवाद का मुद्दा हावी था इसलिए भाजपा की एकतरफा जीत हुई है। नगरीय निकाय चुनाव में ऐसा नहीं होगा।

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