इसके लिए निगम प्रशासन ने एक समिति भी गठित की है। समिति में अपर आयुक्त लोकेश्वर साहू, पुलक भट्टाचार्य, सामान्य प्रशासन विभाग के उपायुक्त पीआर धु्रव, स्वास्थ्य अधिकारी एके हलदार को शामिल किया गया है।
यह तीनों अधिकारी सफाई विभाग में तैनात प्लेसमेंट के ऐसे कर्मचारियों की सूची बनाएंगे जो काम नहीं करते। इसके बाद रिपोर्ट आयुक्त को देंगे। फिर संबंधित ठेकेदार को काम नहीं करने वाले कर्मचारियों को बाहर करने के लिए निर्देश दिए जाएंगे।
पिछले महीने की सैलरी के लिए शासन ने दिया 20 करोड़
निगम प्रशासन को पिछले महीने सैलरी बांटने में दिक्कत आई थी। इस पर निगम को शासन ने 20 करोड़ रुपए दिए। इसमें से करीब 10 करोड़ रुपए सितंबर की सैलरी देने के लिए बचे हैं।
जानकारी के अनुसार नगर निगम अपने अधिकारियों-कर्मचारियों को हर माह करीब 9 करोड़ रुपए सैलरी बांटता है। अक्टूबर में फिर से निगम प्रशासन को सैलरी बांटने में परेशानी आ सकती है।
स्वीकृति 3200 की, रखे हैं 3400 कर्मचारी
नगर निगम को वार्डों की सड़कों, नालियों और सेंट्रल टीम सहित अन्य कार्यों के लिए प्लेसमेंट पर करीब 3200 कर्मचारियों को रखने की स्वीकृति शासन से मिली है। जबकि निगम प्रशासन ने 3400 कर्मचारियों को काम पर रखा है।
बताया जाता है कि इनमें कई ऐसे कर्मचारी हैं जो ड्यूटी पर आते ही नहीं। वार्डों में भी कभी पूरे कर्मचारी ड्यूटी पर नजर नहीं आते। महीने में एक-दो बार ही नालियों और सड़कों की सफाई करते नजर आते हैं। जबकि हर वार्ड में 30 से 40 कर्मचारी तैनात करने की बात निगम अधिकारी करते हैं।
नगर निगम रायपुर आयुक्त शिव अनंत डायल ने कहा, प्लेसमेंट पर तैनात ऐसे कर्मचारियों को बाहर किया जाएगा, जो बिल्कुल काम के नहीं है। सफाई में लगे प्लेसमेंट कर्मचारियों की योग्यता और कार्यकुशलता की जांच के लिए समिति गठित की गई है। समिति की रिपोर्ट के आधार पर ही कार्रवाई की जाएगी। आर्थिक मंदी जैसी कोई बात नहीं है।