हार्ट फेल्योर अमीर और गरीब दोनों को करती है प्रभावित
डेटा से पता चलता है कि दिशा-निर्देशित चिकित्सा उपचार (जीडीएमटी) हार्ट फेल्योर के मरीजों के हालत में सुधार करते हैं, जबकि केवल 47.5 प्रतिशत मरीजों को ही यह देखभाल प्राप्त होती है। रजिस्ट्री में शामिल हार्ट फेल्योर वाले 7 मरीजों में से एक मरीज कि मृत्यु फॉलो-अप की शुरुआत 90 दिनों में ही हो गई, जबकि दिल की विफलता अमीर और गरीब दोनों को समान रूप से प्रभावित करती है। एनएचएफआर के आंकड़ों में जो चौंकाने वाला है वह शैक्षिक स्तर और मृत्यु दर के बीच स्पष्ट संबंध है, जिसमें 90 दिन की मृत्यु दर निम्न शैक्षिक स्थिति वाले व्यक्तियों में सबसे अधिक है।
एसीआई रायपुर के 200 मरीजों का अध्ययन
डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया, यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित यह रिसर्च भारत की सबसे बड़ी हार्ट फेल्योर रजिस्ट्री है, जो 10 अगस्त को यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुई है। इसमें पूरे भारत के 21 राज्यों और 4 केंद्र शासित प्रदेशों से 10,851 हार्ट के मरीजों के चिकित्सीय विवरण को शामिल किया गया। मरीजों के हार्ट फेल्योर के क्लीनिकल प्रोफ़ाइल को आधार बनाकर 90 दिनों तक रिसर्च किया गया। इस शोध में शामिल देश के बाकी सभी हॉस्पिटल ने अपने अध्ययन में केवल 100 मरीजों को शामिल किया। सिर्फ एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट मेडिकल कॉलेज रायपुर ने 200 मरीजों पर अध्ययन कर अग्रणी भूमिका निभाई।