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शहर को स्मार्ट बनाने का जिम्मा जिस एजेंसी पर, उसी की वेबसाइट आउटडेटेड

स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट्स से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए पत्रिका ने विभागीय वेबसाइट चेक की तो पता चला कि यह तो 4 साल से अपडेट ही नहीं हुई। इसमें 2018 तक किए गए कार्यों और टेंडर की ही जानकारी है।

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रायपुर. शहर कैसे स्मार्ट बन रहा है? यह जानने में आपके पसीने छूट सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि जिस एजेंसी पर शहर को स्मार्ट बनाने का दारोमदार है, उसकी अपनी वेबसाइट आउटडेटेड है। 2018 के बाद से यह कभी अपडेट ही नहीं हुई।

दरअसल, स्मार्ट सिटी प्रोजक्ट्स से जुड़ी जानकारी जुटाने के लिए पत्रिका ने विभागीय वेबसाइट चेक की तो पता चला कि यह तो 4 साल से अपडेट ही नहीं हुई। इसमें 2018 तक किए गए कार्यों और टेंडर की ही जानकारी है। इसके बाद शहर में किन प्रोजेक्ट्स पर काम हुआ, किसने किया और इस पर कुल कितने करोड़ खर्च किए गए, इस बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। मामले में जब हमने जनसंपर्क अधिकारी आशीष मिश्रा से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने व्यस्त होने का हवाला देते हुए बात करने से इनकार कर दिया।

बिलासपुर कलेक्टर को बता रहे हैं रायपुर स्मार्ट सिटी का एमडी
निगम कमिश्नर ही स्मार्ट सिटी के एमडी भी होते हैं। इस नाते सौरभ कुमार ने 2021 में रायपुर नगर निगम आयुक्त के साथ स्मार्ट सिटी के एमडी का कार्यभार भी संभाला। उनके बाद अभिजीत सिंह और प्रभात मलिक एमडी बनाए गए। सौरभ कुमार के बाद आईएएस मयंक चतुर्वेदी तीसरे एमडी के तौर पर स्मार्ट सिटी का काम देख रहे हैं, लेकिन वेबसाइट में आज भी सौरभ कुमार ही स्मार्ट सिटी के एमडी हैं।

नई जानकारी 2018 के बाद से नहीं, पुरानी पोस्ट में 2020 तक फेरबदल
स्मार्ट सिटी की वेबसाइट की पड़ताल के दौरान यह भी पता चला कि एजेंसी के काम से जुड़ी कोई भी जानकारी 2018 के बाद अपडेट नहीं की गई है। हालांकि, इससे पहले जो जानकारियां डाली गई थीं उन्हें 2020 तक री-राइट किया गया है। नाम न छापने की शर्त पर स्मार्ट सिटी के ही कुछ अफसरों ने बताया कि करोड़ों के प्रोजेक्ट्स में पहले जो कुछ काला-पीला किया गया था, उसे छिपाने की नीयत से पुरानी पोस्ट अपडेट की गई है। इसके लिए वेबसाइट से कई महत्वपूर्ण जानकारियां हटा दी गई हैं।

करोड़ों खर्च कर में बनाया गया, मोर रायपुर एप बार-बार क्रैश
नगर निगम ने तकरीबन 3 साल पहले करोड़ों रुपए खर्च कर मोर रायपुर एप बनवाया था। इसका मकसद लोगों को घर बैठे प्रॉपर्टी टैक्स भुगतान जैसी अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराना था। हालांकि, यह सुविधा लोगों को कभी मिल ही नहीं पाई। दरअसल, जैसे ही आप गूगल प्ले स्टोर से एप को इंस्टॉल कर ओपन करते हैं, सभी तरह की परमिशन लेने के बाद यह क्रैश हो जाता है। करोड़ों रुपए का यह एप कितना उपयोगी है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि तकरीबन 16 लाख वाले रायपुर में महज 10 से 15 हजार लोगों ने इसे इंस्टॉल किया है।

स्मार्ट सिटी रायपुर की वेबसाइट की री-डिजाइनिंग, मोडिफिकेशन और अपडेशन का कार्य मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अरबन अफेयर्स की तरफ से आए इंटर्न्स, जो कि रायपुर के तालाबों के उन्नयन और आम जनता पर पड़ने वाले प्रभावों पर केस स्टडी बना रहे हैं, उनके द्वारा किया जा रहा है। इसका काम जल्द ही पूरा हो जाएगा।
- मयंक चतुर्वेदी, एमडी, स्मार्ट सिटी रायपुर