मुजफ्फरपुर के रहने वाले सुधीर मीडिया को बता चुके हैं कि जब विदेशों में इंडिया का कोई मैच होता है, और सचिन उसका हिस्सा होते हैं तो तेंदुलकर के खर्च पर ही वे विदेश जाते हैं. सुधीर ने भारत ही नहीं बल्कि पाकिस्तान के लाहौर में भी मैच देखा. इसके साथ ही 3 बार बांग्लादेश भी साइकिल से जाकर भारत का मैच देखा है और सचिन को सपोर्ट किया है. इंडिया ही नहीं बल्कि ऑस्ट्रेलिया इंग्लैंड वेस्टइंडीज लगभग जहां-जहां भारत क्रिकेट खेलने जाता है सभी जगह सुधीर ने जाकर इंडिया टीम को चीयर किया है.
ऐसे बने सचिन के फैन
बचपन से मैं क्रिकेटर बनना चाहता था. स्कूल लेवल पर खूब मैच भी खेले मगर, लोकल राजनीति के चलते टीम में मेरा सिलेक्शन नहीं हो पाया. क्रिकेट में मेरे हीरो सचिन सर थे. उनसे मिलने की चाहत ने मुझे मेरे भगवान से मिला दिया. मैं अपनी जिंदगी को सफल मानता हूं कि करोड़ों कि आबादी में मैं क्रिकेट को अपने ढंग से जी रहा हूं.
ऐसे हुई सचिन से पहली मुलाकात
साल 2003 में मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में भारत और ऑस्ट्रेलिया का मैच होना था. तब सचिन से मिलने के लिए सुधीर 8 अक्टूबर को मुजफ्फरपुर (बिहार) से साइकिल से निकले. 18 दिन बाद मुंबई पहुंचे. 29 अक्टूबर को शाम 5 बजे ट्राइडन होटल के बाहर सचिन सर के निकलने पर सुधीर उनके पैर छूने के लिए बढे पर सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें धक्का देकर बाहर कर दिया.
सुधीर ने फिर भी हिम्मत नहीं हारी और कोशिश की. किसी तरह लोगों के पैरों के नीचे से निकलकर सुधीर ने सचिन के पैर छुए और आशीर्वाद लिया. जब सचिन को पूरा वाकया मालूम पड़ा कि सुधीर 18 दिन साइकिल चला कर आए हैं तो उन्होंने सुधीर को अपने घर बुलाया. सुधीर 30 अक्टूबर को उनके घर पर मिले और सचिन ने उन्हें अपनी जर्सी दी.
इस तरह आया पूरे शरीर और सिर में पेंटिंग कराने का ख्याल
शरीर और सिर में पेंटिंग कराने की बात पर सुधीर कहते हैं- “मेरा जीवन क्रिकेट और सचिन सर के लिए है. देश प्रेम और अपने भगवान के लिए तो लोग कुछ भी करते हैं. बस यह बॉडी पेंटिंग उसी का एक उदाहरण भर है. इससे भारतीय टीम का उत्साह बढ़ाने में मदद मिलती है. ग्राउंड में माहौल बनता है. आप कह सकते हैं कि मैं अपने भगवान का भक्त हनुमान हूं. क्रिकेटर और देश प्रेम में सराबोर हूं और अंतिम सांस तक ऐसे ही रहना चाहता हूं.”