लवन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 38 दिनों में 95 प्रसूताओं का हुआ सुरक्षित प्रसव
सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों में बढ़ रही जागरुकता, शासकीय अस्पतालों में ही महिलाओं का प्रसव कराएं : डॉ. प्रेमी
लवन सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में 38 दिनों में 95 प्रसूताओं का हुआ सुरक्षित प्रसव
कोरदा (लवन) । सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र लवन में प्रसव कराने वालों की संख्या बढ़ रही है। पहले की अपेक्षा भीड़ बढऩे लगी है। डिलीवरी के लिए गर्भवती महिलाएं लवन अस्पताल को अच्छा मान रही हैं, जिसकी वजह से यहां गर्भवती महिला प्रसव कराने पहुंच रही है। लवन अस्पताल में हर दिन नन्हे बच्चों की किलकारी सुनाई पड़ रही है। सुरक्षित प्रसव होने पर आसपास के लोग प्रसव कराने पहुंच रहे है। 1 दिसम्बर 2021 से 8 जनवरी 2022 तक 95 प्रसूताओं का सुरक्षित प्रसव किया गया। इनमें से 20 प्रसूता ऐसी रही जिन्हें कुछ दिन रुकने के बाद डिलवरी हुई। वहीं, 8 की रात्रि में सुचिता लकड़ा के द्वारा 5 प्रसूताओं का सुरक्षित प्रसव कराया गया। जिनमें से सभी लड़किया रहीं। दिसम्बर से 9 जनवरी तक 1372 सामान्य सर्दी, खांसी के मरीज इलाज कराने पहुंचे। जिन्हें डॉक्टरों के द्वारा चेकअप कर्र लाज किया गया।
खंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. राकेश कुमार प्रेमी ने बताया कि घर में प्रसव होने पर जच्चा-बच्चा की हालत बिगडऩे पर अस्पताल लाना पड़ता है। ऐसे में सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र या जिला अस्पताल में ही महिलाओं का प्रसव कराए। स्वास्थ विभाग का प्रयास रहता है कि महिलाओ ंका संस्थागत प्रसव कराया जाए। डॉ. प्रेमी ने कहा कि कोई भी महिला गर्भवती है तो उसकी जांच कराकर टीके जरूर जगवाएं। परिजनों को प्रसव सरकारी अस्पताल में ही कराने के लिए प्रेरित करें। सरकार द्वारा संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने जननी सुरक्षा योजना चला रही है। योजना का उद्देश्य संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देकर मातृ व शिशु मृत्यु दर को रोकना है। योजना में सरकारी अस्पताल पर प्रसव कराने पर प्रसूताओं को 14 सौ रुपए मदद दी जाती है तथा शहरी क्षेत्र में एक हजार रुपए आर्थिक मदद दी जाती है।
डॉ. प्रेमी ने यह भी कहा कि सुरक्षित डिलीवरी के लिए समय से महिला का अस्पताल पहुंचना जरूरी होता है। लेट होने पर परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए डिलीवरी का समय आने पर तुरंत ही अस्पताल पहुंचकर सुरक्षित प्रसव करावें। सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र में पदस्थ नेत्र चिकित्सा अधिकारी (अस्पताल प्रबंधकक) डॉ. दुर्गेश बंजारे ने बताया कि 1 दिसम्बर से 9 दिसम्बर तक 95 गर्भवती महिलाओं की सुरक्षित डिलवरी हुई है। वहीं, ओपीडी में लगभग 1374 लोगों का इलाज केवल 38 दिनों में हुआ है। जिनमें से 18 मरीज गंभीर मरीज रहे। सरकारी अस्पताल के प्रति धीरे-धीरे लोगों में जागरुकता देखी जा रही है।
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