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रायपुर

नसा होथे नास के जर!

सराब अउ नसाबंदी जरूरी हे

रायपुरMay 18, 2018 / 07:43 pm

Gulal Verma

cg news

नसा होथे नास के जर!

‘जे कर पुरखा भीख नइ मांगय, तउनो लमाथे हाथÓ। जउनमन ल बीड़ी-सिगरेट पीये अउ तंबाकू खाय के सउंक हे, तेकरमन बर छत्तीसगढ़ म अइसे कहे गे हे। कतकोन बड़ मनखे रहय, वोमा ये नसा होथे त दूसर ल खात-पीयत देखके ‘महूं ल देतेव जीÓ कहिके हाथ लमा देथे।
नसा ह लोगन के तन-मन-धन सबो ल खोखला कर देथे। परिवार तबाह हो जथे। समाज म बदनामी तको होथे। तंबाकू म निकोटिन, कोलतार, आरसेनिक, कारबन मोनो क्साइल (कोयला के गेस) होथे। निकोटिन के कोनो रंग नइ होवय, ऐमा बिख (जहर) होथे। ऐहा तंबाकू के पउधा ले मिलथे। सिगरेट के डब्बा म लिखाय रहिथे- ‘सिगरेट पियई सरीर बर बीमारी लनइया हे।Ó तभो ले लोगनमन जान-सुन के पीथें। सिगरेट म 4 हजार रसायन रहिथे। ऐमा दू सौ बिस अउ साठठईन केंसर लइनया बिस मिले रहिथे। तंबाकू ले फेफड़ा के केंसर होथे। दिल, नस म लहू के जादा होवई (उच्चरक्त चाप), पेट म अल्सर, नींद नइ अवई जइसे रोग होथे। सिगरेट-बीड़ी गांजा पीये ले वोकर धुगिंया ह पियइया के संगे-संग वोकर तीर म रहइया लोगन के सांस ले फेफड़ा म जाथे। छत्तीसगढ़ म घर म आय सगामन के सुवागत-सत्कार बर पानदान म सुपारी, सउंफ, लगांव, इलाइची के संग बीड़ी-सिगरेट तको देय जाथे। बीड़ी के बंटई ल तो समाज म सम्मान के बात घलो समझे जाथे। रमायन-जसगीत गवइयामन घलो बीड़ी-गांजा पीथें। कतकोनझन लइकामन ले चूल्हा म बीड़ी सुपचा के मंगाथे। कतकोन पइत लइकामन एक-दू फूंक मार घलो लेथें। ये सब बुराई ल सुधारे के खच्चित जरूरत हे।

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