सीताजी जगमाता और श्रीराम को जगत पिता बताया गया है। वाल्मीकि रामायण में तथा वेद-उपनिषदों में सीता के स्वरूप का विस्तारपूर्वक वर्णन किया गया है। गोस्वामी तुलसीदासजी रामचरितमानस में सीता को संसार की उत्पत्ति, पालन तथा संहार करने वाली माता कहते हुए नमस्कार करते हैं, एक पुत्री, पुत्रवधू, पत्नी और मां के रूप में उनका आदर्श रूप पूजनीय रहा है।