सीरिंज भी केंद्र देता है, क्योंकि इसकी कई खासियतें हैं
सीरिंज टीकाकरण में सबसे अहम है। इस सीरिंज को कुछ इस प्रकार से बनाया गया है कि एक बार यूज होने के बाद यह स्वयं से नष्ट हो जाती है, यानी इस्तेमाल नहीं हो सकता। दूसरा सीरिंज में 0.5 एमएल से ज्यादा वैक्सीन आती ही नहीं है। इसे टीकाकरण के लिए 100 प्रतिशत सुरक्षित माना है। यह सप्लाई केंद्र से होती है। राज्य सरकारें सीरिंज नहीं खरीद सकती हैं।
50 लाख लोगों को लगी दोनों डोज
रविवार को दोनों डोज लगवाने वालों का आंकड़ा 50 लाख के पार जा पहुंचा। उधर, कोरोना की पहली और दूसरी लहर में 45 से अधिक आयुवर्ग वाले लोग सर्वाधिक संक्रमित हुए तो सबसे ज्यादा मौतें आयुवर्ग के लोगों की हुई। यही वजह है कि कोरोना टीकाकरण के प्रति इनमें खासी जागरुकता दिखी है। अब तक इस आयुवर्ग के 82 प्रतिशत लोगों को पहली और 49 प्रतिशत को दूसरी, इसी तरह 18 से 45 आयुवर्ग के 56 प्रतिशत नागरिकों को पहली, 24 प्रतिशत को दोनों डोज लग गईं।
36 लाख लोग सेकंड डोज से चूके
छत्तीसगढ़ के 36 लाख लोग ऐसे हैं जिन्हें कोरोना की दूसरी डोज समय पर नहीं लग सकी है। यह आंकड़ा देश में सर्वाधिक है। यही राज्य के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। क्योंकि जहां 65 प्रतिशत को पहली डोज लगी तो सिर्फ 25 प्रतिशत को दूसरी डोज लग पाई है, दोनों के 40 प्रतिशत का अंतर है। इनमें कोविशील्ड लगवाने वालों की संख्या सर्वाधिक है, क्योंकि इस वैक्सीन में फस्र्ट डोज से सेकंड डोज के बीच का अंतर 12 से 16 हफ्तों का है।