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बचपन गरीबी में बीता, हाथ जोड़कर बहन की शादी कराई, शिव की कृपा से अब सब ठीक, कथा वाचक पं. प्रदीप मिश्र की संघर्ष की दास्तां..

Pt. Pradeep Mishra in raipur : गुढ़ियारी के दही हांडी मैदान में 3 दिन से जारी उनकी कथा को सुनने के लिए रोज 2 लाख से ज्यादा की भीड़ उमड़ रही है। उनकी यह प्रसिद्धि बीते कुछ सालों की ही है।

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रायपुर। शिव महापुराण के अंतरराष्ट्रीय कथाकार पं. प्रदीप मिश्र बीते 4 दिनों से राजधानी (Pt. Pradeep Mishra in raipur) में हैं। गुढ़ियारी के दही हांडी मैदान में 3 दिन से जारी उनकी कथा को सुनने के लिए रोज 2 लाख से ज्यादा की भीड़ उमड़ रही है। उनकी यह प्रसिद्धि बीते कुछ सालों की ही है। (Pt. Pradeep Mishra in raipur) पहले उनके जीवन में भी काफी परेशानियां आईं। पं. मिश्र के संघर्ष की कहानी, (Pt. Pradeep Mishra story) पढ़िए उन्हीं की जुबानी...

परिवार संकटों से जूझ रहा था, जब मेरा जन्म हुआ। शिक्षा हासिल करने में रूचि थी, लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि मुझे कॉपी-किताब या गणवेश दिलवा सकें। मैंने दूसरों की ड्रेस पहनी। दूसरों की किताब मांगकर पढ़ाई की। पिता के साथ दुकान लगाई और लोगों को चाय पिलाई। थोड़ा बड़ा हुआ तो बहन की शादी कराने की बात आई। मुझे याद है, उसी वक्त सीहोर में एक नगर सेठ की बेटी का भी विवाह हुआ था। (Pt. Pradeep Mishra in raipur) परिवार के साथ मैं उस सेठ के पास गया। (Pt. Pradeep Mishra in raipur) हाथ जोड़कर विनती की कि भवन में आपने जो डेकोरेशन करवाया है, उसे वैसे ही रहने दें। मैं इसी में अपनी बहन की शादी करवा लूंगा। शिव भक्ति की भावना तो बचपन से थी। इसे देखते हुए गांव की गीता बाई पराशर ने मुझे कथावाचक बनने कहा। दीक्षा के लिए मुझे इंदौर में गुरु विठलेश राय के पास भेजा। उन्होंने ही मुझे धर्म ग्रंथों का ज्ञान दिया।

मुझे सुनने वाला कोई नहीं था तब मैंने शिव को कथा सुनाई

मीडिया से बातचीत में पं. मिश्र ने आगे बताया, दीक्षा लेने के बाद मैं कथा वाचन के लिए निकला। तब मुझे सुनने वाला कोई नहीं था। मैं पूजा के लिए नित्य सीहोर के शिव मंदिर जाता था। (Pt. Pradeep Mishra in raipur) वहां गंदगी देखकर साफ-सफाई भी कर लेता। मैंने सोचा क्यों न अपने मुख से पहली कथा शिवजी को ही सुनाऊं। मैंने रोज शिवलिंग के सामने बैठकर शिव महापुराण का वाचन शुरू कर दिया। फिर पहली सामूहिक कथा सीहोर में हुई। इसके बाद शिवजी की जो कृपा हुई कि मुझे सुनने वाले बढ़ते ही गए और आज भोलेनाथ की कृपा से सब ठीक है।


1. भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना चाहिए?

क्यों नहीं? सनातन ही शाश्वत धर्म है। सृष्टि की ऐसी कोई जगह नहीं है जहां शंकर न हों। आज अपने चारों तरफ देखिए, धर्म की जड़ें खोदी जा रहीं हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र बनाना ही चाहिए।

2. ज्ञानवापी मामले में क्या कहेंगे?

अभी सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही है। मैं बस इतना ही कहना चाहूंगा कि इस पर फैसला वही आएगा जो बाबा भोलेनाथ की इच्छा होगी।

3. छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण जोरों पर है?

आप अगरबत्ती छोड़ेंगे तो आपके हाथों में मोमबत्ती पकड़ा दी जाएगी। अपनी जड़ों से जुड़िए। जो लोग अपना धर्म बदल चुके हैं, उन्हें दादा-परदादा का नाम पता करना चाहिए।

4. हिंदी फिल्मों में धर्म को कहां देखते हैं?

हिंदी सिनेमा को साउथ की फिल्मों से सीख लेनी चाहिए। वहां कितनी खूबसूरती से भारतीय परंपराओं और रीति-रिवाजों को दर्शाया जाता है। हिंदी सिनेमा को अभी इस पर बहुत काम करने की जरूरत है।

5. शिवजी के नाम पर गांजा पीना उचित?

बिलकुल नहीं। तस्वीरों में शिवजी को गांजा पीते दिखाना आपत्तिजनक है। शिवजी से जब पार्वती ने पूछा कि आप कौन से नशे में रहते हैं तब उन्होंने कथा था- राम नाम के नशे में।