scriptआंबेडकर अस्पताल के एसीआई में बिना चीरफाड़ जन्मजात दिल के छेद का सफल ऑपरेशन | Successful operation of uncorrected congenital heart hole in ACI | Patrika News
रायपुर

आंबेडकर अस्पताल के एसीआई में बिना चीरफाड़ जन्मजात दिल के छेद का सफल ऑपरेशन

मनुष्य के शरीर में दिल एकमात्र ऐसा अंग है जो बिना आराम किए लगातार काम करता है। इस दिल के धड़कने में कोई समस्या आती है तो जिंदगी की गति अनियंत्रित हो जाती है। राजधानी के डॉ. भीमराव आंबेडकर स्मृति चिकित्सालय के एडवांस कॉर्डियक इंस्टीट्यूट (एसीआई) के कैथलैब में शुक्रवार को ऐसे ही ३ मासूम समेत ६ लोगों का बिना चीर फाड़ के सफल ऑपरेशन हुआ तो परिजनों की आंखें खुशी से नम हो गए।

रायपुरOct 12, 2019 / 01:14 am

Nikesh Kumar Dewangan

आंबेडकर अस्पताल के एसीआई में बिना चीरफाड़ जन्मजात दिल के छेद का सफल ऑपरेशन

आंबेडकर अस्पताल के एसीआई में बिना चीरफाड़ जन्मजात दिल के छेद का सफल ऑपरेशन

रायपुर. एसीआई के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव के साथ पीजीआई चंडीगढ से आए डॉ. मनोज कुमार रोहित एवं टीम ने मिलकर डिवाइस क्लोजर प्रोसीजर के जरिए दिल के छेद को बंद करके मरीजों को नई जिंदगी दी। इस तकनीक से बेहद कम कीमत पर मरीजों को इलाज हो गया। मरीजों का इलाज आयुष्मान योजना के अंतर्गत तथा स्मार्ट कार्ड के माध्यम से हुआ।
क्या है डिवाइस क्लोजर तकनीक
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. स्मित श्रीवास्तव ने बताया कि डिवाइस क्लोजर तकनीक में दिल के छेद को सर्जरी की बजाय डिवाइस क्लोजर से बंद किया जाता है। इस तकनीक में एंजियोप्लास्टी के कैथेटर के जरिए मरीज के हृदय में नसों के माध्यम से डिवाइस को भेजकर वहीं इंप्लांट कर दिया जाता है। एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट को सामान्य भाषा में दिल में छेद होना कहते हैं। सामान्यत: जन्म के कुछ महीने बाद हृदय की दोनों मुख्य धमनियों के बीच का मार्ग स्वत: बंद हो जाता है, लेकिन कुछ केसों में ऐसा नहीं होता और वह मार्ग खुला रह जाता है, जिसे एएसडी यानी एट्रियल सेप्टल डिफेक्ट कहते हैं। यह एक इंटरवेंशन प्रोसीजर है अर्थात् नसों के अंदर ही अंदर की जाने वाली प्रक्रिया, जिसमें जांघ की नस द्वारा बिना चीरे के दिल का छेद बंद कर दिया जाता है और मरीज दूसरे दिन से ही अपने काम पर जा सकता है।

दिल के निचले कक्ष में असामान्य सम्पर्क है वीएसडी की वजह
वीएसडी यानी वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट एक आम हृदय दोष है, जिसमें दिल के निचले कक्षों (निलय) के बीच असामान्य संपर्क की वजह से छेद हो जाता है। वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष लक्षणों में कम खाने, वजन ना बढऩे और तेज़ी से सांस लेने के लक्षण शामिल हो सकते हैं। जन्म के कुछ समय बाद ये छेद अपने आप बंद हो जाते हैं, लेकिन कई बार ऐसा नहीं होता और छेद बंद करने के लिए ऑपरेशन या कैथेटर पर आधारित प्रक्रिया की जरुरत पड़ती है।

इन मरीजों का हुआ उपचार
पीडीए डिवाइस क्लोजर प्रोसीजर
1. मरीज कंचन गेंद्रें, उम्र- 4 वर्ष, निवासी उतई, दुर्ग,
2. मरीज श्रद्धा यादव, उम्र – 8 वर्ष, निवासी रायगढ़
वीएसडी डिवाइस क्लोजर प्रोसीजर
1. मरीज आरोही यादव, उम्र -3 वर्ष, निवासी पंडरिया, कवर्धा
एएसडी डिवाइस क्लोजर प्रोसीजर
1. मरीज आंचल जायसवाल, उम्र- 16 वर्ष, निवासी वाड्रफनगर, बलरामपुर
2. मरीज रूकमणी ध्रुव, उम्र- 34 वर्ष, निवासी बरौदा, रायपुर,
3. मरीज रेणुका काले उम्र- 48 वर्ष, निवासी कचना, रायपुर
टेलीमेडिसीन हॉल में रविवार को कान्फे्रंस
एसीआई द्वारा रविवार को चिकित्सालय के टेलीमेडिसीन हॉल में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश और विदर्भ के कार्डियोलॉजिस्ट को अमेरिका से प्रशिक्षण प्राप्त कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. कुमार नारायण कार्डियक रिसिंक्रोनाजेशन थेरेपी, इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी और रेडियो फ्रीक्वेंसी एबलेशन की एडवांस्ड तकनीक की जानकारी देंगे।

Home / Raipur / आंबेडकर अस्पताल के एसीआई में बिना चीरफाड़ जन्मजात दिल के छेद का सफल ऑपरेशन

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो