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Swine Flu Alert: कोरोना से मिलते जुलते लक्षण हैं स्वाइन फ्लू के, स्वास्थ्य विभाग ने बताया बचाव का तरीका

locationरायपुरPublished: Sep 18, 2022 10:31:36 am

Submitted by:

Sakshi Dewangan

Swine Flu Alert: इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है। विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईवी और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है।

Now sick with swine flu, 20 new patients in the month of June

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Swine Flu Alert: रायपुर. स्वाइन फ्लू को लेकर स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी किया है। स्वाइन फ्लू का लक्षण कोरोना से मिलते-जुलते हैं। स्वास्थ्य विभाग के अनुसार विभाग के अनुसार एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा द्मएद्य के कारण होने वाले स्वाइन फ्लू के वायरस का प्रसार वायु कणों व संक्रमित वस्तुओं को छूने से होता है। इसका प्रसार रोकने सावधानी जरूरी है। स्वाइन फ्लू के लक्षण भी कोरोना के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं। इसमें खांसी, बलगम आना, गले में दर्द या खराश, जुकाम और कुछ लोगों को फेफड़ों में इन्फेक्शन होने पर सांस चढ़ने लग जाती है। जिन व्यक्तियों को इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं, उन्हें तुरंत स्वाइन फ्लू के साथ कोरोना की भी जांच कराना चाहिए।

बारिश में ज्यादा खतरा
संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू के कारणों व लक्षणों के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 इन्फ्लुएंजा द्मएद्य के कारण होता है। यह वायरस वायु कण एवं संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है। इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है। विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईवी और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है।

स्वाइन फ्लू के लक्षण
डॉ. मिश्रा ने बताया कि संक्रमित व्यक्ति को तेज बुखार के साथ खांसी, नाक बहना, गले में खराश, सिर दर्द, बदन दर्द, थकावट, उल्टी, दस्त, छाती में दर्द, रक्तचाप में गिरावट, खून के साथ बलगम आना व नाखूनों का नीला पड़ना स्वाइन फ्लू के लक्षण हो सकते हैं। उन्होंने इससे बचाव के लिए भीड़-भाड़ वाली जगहों में नहीं जाने, संक्रमित व्यक्ति के संपर्क से दूर रहने तथा नियमित रूप से हाथ साबुन या हैण्डवॉश से धोने की सलाह दी है। साथ ही सर्दी-खांसी एवं जुकाम वाले व्यक्तियों के द्वारा उपयोग में लाये गये रूमाल और कपड़ों का उपयोग नहीं करना चाहिए। स्वाइन फ्लू के लक्षण पाए जाने पर पीड़ित को 24 से 48 घंटों के भीतर डॉक्टर से जांच अवश्य कराना चाहिए।

प्रदेश में शनिवार को 93 नए संक्रमित मिले हैं। वहीं महासमुंद व सूरजपुर में 1-1 कुल 2 लोगों की मौत हुई है। दोनों को अन्य गंभीर बीमारियां भी थीं। 4730 लोगों की जांच में 1.97 फीसदी संक्रमण दर से 15 जिलों में मरीज मिले हैं। सर्वाधिक सरगुजा से 19, बालोद से 12, राजनांदगांव एवं दुर्ग से 9-9, धमतरी, बलौदाबाजार एवं रायपुर से 7-7 नए संक्रमित की पुष्टि हुई है। इसके अलावा 79 मरीज रिकवर हुए हैं। इससे सक्रिय मरीज बढ़कर 676 हो गए हैं। इसमें सर्वाधिक रायपुर के 86, सरगुजाो 76, दुर्ग के 71 सहित अन्य जिलों में मरीज शामिल हैं।

स्वाइन फ्लू के 5 नए मरीज मिले
शनिवार को रायपुर से 3, दंतेवाड़ा व राजनांदगांव से 1-1 कुल 5 स्वाइन फ्लू के मरीज मिले हैं। नए केस के साथ ही स्वाइन फ्लू मरीजों की संख्या बढ़कर 296 हो गई है। इसमें 73 मरीज अलग-अलग अस्पतालों में इलाजरत हैं। सर्वाधिक रायपुर के 33, दुर्ग के 10 सहित अन्य जिलों के मरीज भर्ती हैं।
यहां होती हैं जांच

प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में स्वाइन फ्लू की जांच की सुविधा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों, सिविल अस्पतालों, जिला चिकित्सालयों तथा मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इसका इलाज कराया जा सकता है। जिस प्रकार कोरोना से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है, वैसे ही स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इन्फ्लूंजा वैक्सीन लगाई जाती है। इस वैक्सीन से स्वाइन फ्लू की वजह से होने वाली गंभीर समस्याओं से बचा जा सकता है।

स्वाइन फ्लू से इन लोगों को ज्यादा खतरा
संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने स्वाइन फ्लू के कारणों और लक्षणों के बारे में बताया कि स्वाइन फ्लू एच-1 एन-1 (H1N1) इन्फ्लुएंजा ‘ए’ के कारण होता है। यह वायरस वायु कण और संक्रमित वस्तुओं को छूने से फैलता है. इसकी संक्रमण अवधि सात दिनों की होती है। बरसात के मौसम में बुजुर्गों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों में संक्रमण तीव्र गति से प्रभावी होने का अधिक खतरा रहता है. विशेष रूप से हृदय रोग, श्वसन संबंधी रोग, लीवर रोग, किडनी रोग, डायबिटीज, एचआईव्ही और कैंसर से पीड़ित या ऐसे मरीज जो कि स्टेराइड की दवा का सेवन लम्बे समय से कर रहे हों, उन पर अधिक खतरा बना रहता है।

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