राजनीति में अवसर से भी जुड़े सवाल
– सवाल – देश की युवा आबादी और मंत्रिपरिषद में युवाओं के प्रतिनिधित्व दर में खाई क्यों है।
– विवेक तन्खा – राजनीति में स्थापित बुजुर्ग जगह नहीं छोड़ते, तभी यह स्थिति बनी है। चार-चार बार सांसद-विधायक बनने वाले कुर्सी नहीं छोड़ेंगे तो युवाओं को मौका नहीं मिलेगा। युवाओं में क्षमता है, लेकिन उनकी सीमाएं हैं। चुनाव खर्चीला रहेगा तो युवा खर्च के लिए पैसा कहां से ला पाएगा।
– कुमार केतकर – स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं में कई एनआरआइ युवा थे। उन्होंने आदर्शवाद, उदारवाद और बहुलतावादी संस्कृति को आत्मसात किया था। लेकिन आज का युवा साम्प्रदायिक हो गया है। सिलिकॉन वैली में बसा एनआरआइ भी साम्प्रदायिकता की चपेट में है।
– टीएस सिंहदेव – हम लोग जगह नहीं छोड़ रहे हैं तो बिल्कुल रिजर्वेशन होना चाहिए।
– विवेक तन्खा – युवाओं को आरक्षण देने की बजाय उन लोगों को चुनाव लडऩे से रोका जाना चाहिए जो कई बार सांसद-विधायक बन चुके हैं।
– राजीव गौड़ा – संसदीय व्यवस्था में नहीं तो पार्टी के भीतर ऐसा किया जा सकता है।
– टीएस सिंहदेव – जिन युवाओं ने काम करके अपनी जगह बनाई है, वे आगे आएंगे। उनकी उम्र अथवा जेंडर उन्हें रोक नहीं सकती। अब सभी पार्टियां जीतने वाले को टिकट देती हैं।
– विवेक तन्खा – पार्टी में काम करने वालों को पद मिलेगा तो बात बनेगी। यह नहीं कि किसी का फोन आने पर पद दिया जाए। पार्टियों में लोकतंत्र तब होगा जब पदाधिकारियों का वास्तव में चुनाव हो।
– जरिता लेतफलांग – धरना-प्रदर्शनों से युवा राजनीतिक कार्यकर्ता को सीख मिलती है। यह जमीन काम है, जिसके जरिए पहचान बनती है।