सुविधाहीन थाने
छत्तीसगढ़ के 126 थाने वाहनविहीन और 23 थाने टेलीफोनविहीन हैं।
रायपुर। बेहतर कानून व्यवस्था के लिए पुलिस विभाग में पर्याप्त स्टाफ, अत्याधुनिक हथियार और थानोंं में तमाम साधन-सुविधाएं होना अत्यंत जरूरी है। सरकार के नुमाइंदों और उच्च पदों पर आसीन नौकरशाहों से यह उम्मीद की जाती है कि वे अन्य विभागों की तुलना में पुलिस विभाग को ज्यादा सशक्त, सक्रिय और साधन संपन्न बनाएं। पुलिस बल को हथियार के अलावा भी कई प्रकार के साधन-सुविधाओं से लैस होना होता है और यह जरूरी भी है। ऐसे में ब्यूरो ऑफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट अत्यंत चिंताजनक है। प्रदेश के 126 थाने वाहनविहीन और 23 थाने टेलीफोनविहीन हैं। पुलिस विभाग में वायरलेस सेट का अभाव है। इतना ही नहीं, 10 हजार से अधिक पुलिसकर्मियों की भी कमी है। सीआइडी में सब इंस्पेक्टर के स्वीकृत 49 पदों में महज 11 पदों पर भर्तियां हुई हैं, जबकि कांस्टेबल के आधे पद रिक्त हैं। आतंकरोधी दस्ते में डिप्टी एसपी रैंक के 36 में से सिर्फ 4 पद भरे हैं। वहीं, इस दस्ते के कुल स्वीकृत 2732 पदों में से 1952 पदों पर ही भर्तियां हुई हैं।
प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति बदतर है। चोरी, डकैती, लूट, उठाईगिरी व हत्या की घटनाएं आम हो गई हैं। हालात यह है कि न गांव सुरक्षित हैं, न कस्बा और न ही शहर। घर से लेकर बाजार, दुकान, सड़क, चौक-चौराहे, यहां तक कि बैंक में लोगों की खून-पसीने की कमाई असुरक्षित है। बलात्कार, यौन उत्पीडऩ व छेडख़ानी के मामले भी बढ़ रहे हैं। अपराधी बड़ी आसानी से वारदात करके अन्य प्रदेशों में भाग जाते हैं और पुलिस स्थानीय स्तर पर हाथ-पैर मारती रहती है। यानी उनके नेटवर्क पुलिस नेटवर्क से मजबूत हैं। माओवाद समस्या प्रदेश के लिए नासूर बन गई है, सो अलग। माओवाद प्रभावित इलाकों में तो लोगों की जिन्दगी हर पल दांव पर लगी रहती है।
कानून व्यवस्था बनाए रखने और लोगों की जान-माल की सुरक्षा की जिम्मेदारी पुलिस प्रशासन की है। लिहाजा, पुलिस बल की कमी कतई नहीं होनी चाहिए। सभी थानों को सर्वसुविधायुक्त और पुलिसकर्मियों को आधुनिक संसाधनों से लैस करना सरकार की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।