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रायपुर

ताने सुने, फिर भी नहीं छोड़ा कामयाबी का जुनून और आज छू रहे आसमान

एक कहावत भी है कि लोग जितना खुद के दुख से दुखी नहीं होते, उतना दूसरे की कामयाबी को देखकर दुखी होते हैं।

रायपुरNov 16, 2018 / 05:19 pm

चंदू निर्मलकर

Chhattisgarh News

ताने सुने, फिर भी नहीं छोड़ा कामयाबी का जुनून और आज छू रहे आसमान

रायपुर. दुनिया में जब आप कोई काम करने की चाह रखते हैं तो उसको टोकने वाले लोग बहुत मिलते हैं। इसलिए एक कहावत भी है कि लोग जितना खुद के दुख से दुखी नहीं होते, उतना दूसरे की कामयाबी को देखकर दुखी होते हैं।
यह संसार का नियम है कि कोई कार्य करने से पहले आपको भ्रमित करना स्वाभाविक है। इसे अंग्रेजी में मोरल डाउन कहा जाता है, लेकिन जो अपनी जिद और मेहनत के बल पर आगे बढ़ते हैं वे एक न एक दिन कामयाब जरूर होते हैं। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने भी कहा है कि सपने वे नहीं होते जिसे आप बंद आंखों से देखते हैं, बल्कि सपने वह है जो आप जागते हुए देखते हैं।
आज का दिन पूरे वल्र्ड में इंटरनेशनल टोलेरेंस डे के रूप में मनाया जाता है। जिसका आशय होता है सहिष्णु या पैशेंस वाला। आज हम शहर के कुछ ऐसे लोगों की कहानी बयां करने जा रहे हैं जिन्होंने दुनिया के ताने न सुनकर अपने ड्रीम को साकार किया है।

लोगों ने कहा तू नहीं कर पाएगा
अगर कोई दुबला-पतला कहे कि उसे मिस्टर इंडिया बनना है तो जाहिर सी बात है सभी उसका मजाक उड़ाएंगे। ऐसी ही कहानी है राजधानी के शाहिद आफरीदी की। शाहिद आज मिस्टर इंडिया का खिताब जीत चुके हैं और मिस्टर इंटरनेशनल में चौथे नंबर पर आए थे। शाहिद बताते हैं कि करीब दो साल पहले मेरी कहानी कुछ और थी। मैं दुबला था और करीब 63 किलोग्राम ही वजन था। मैने जब लोगों को बताया कि बॉडी बिल्डिंग में कॅरियर बनाना चाहता हूं तो सब हंसने लगे और बोले तू नहींं कर पाएगा। मैंने उस बात को याद करते हुए जिमिंग शुरू की और दो साल बाद अपना सपना साकार किया और आज भी मेहनत करता हूं।

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सबने कहा कोई काम करो, मैं पैशन पर अड़ा रहा
आपके अंदर जुनून है तो आप कुछ भी हासिल कर सकते हैं। ऐसी ही एक कहानी है राजधानी के रिखी क्षत्रिय की। शहर के रिखी वैसे तो भिलाई से बिलांग करते हैं। रिखी पिछले चालीस सालों से छत्तीसगढ़ के पुराने वाद्य यंत्रों को संजोने का कार्य करते हैं जो आज से करीब 500 साल पहले उपयोग किए जाते थे।

आज अगर रिखी के यहां देखा जाए तो करीब 175 पुराने वाद्य यंत्रों का संग्रह है। वे बताते हैं कि इसके लिए उन्हें राज्य के हर इलाके में भटकना पड़ा। लोगों ने बहुत ताने मारे की कोई काम करो इन सबको अगर पा भी लोगे तो क्या करोगे। इन सब के बावजूद भी मैंने हार नहीं मानी और आज मेरे पास छत्तीसगढ़ी परंपरा को दर्शाने वाले यंत्रों को देखकर गर्व महसूस होता है।
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बस अपने सपने पूरा करती हूं
मैंने बचपन से ही तानों का सामना किया है। मुझे अपने जेंडर को लेकर हमेशा आलोचना का सामना करना पड़ा। मैं लोगों की परवाह नहीं करती। मैं बस अपने सपने पूरे करने के लिए दिन रात मेहनत करती हूं। ये कहना है राजधानी की वीणा सेंद्रे का। वीणा ने 2018 में मिस ट्रांसक्वीन इंडिया खिताब जीता है। वे कहती हैं कि लोगों के ताने सुनकर अगर आप अपने ड्रीम को रोकते हैं तो वह सबसे बड़ी हार होती है। मैं लोगों की परवाह नहीं, बस अपने ड्रीम पर फोकस करती हूं। मंदिर हसौद से पढ़ाई करने के बाद काम की तलाश में रायपुर आईं, जहां उन्हें कई प्रकार की आलोचना का सामना करना पड़ा।

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