विस्फोटक और अन्य जरूरी सामानों की आपूर्ति प्रभावित होने से वे दबाव में आ गए हैं। इसकी कमी पूरी करने के लिए वह मालवाहक वाहनों को निशान बना रहे हैं। कई बार सामान लूटने का असफल प्रयास भी किया गया है। सीआरपीएफ के अधिकारिक सूत्रों ने बताया कि लगातार चौतरफा दबाव के चलते माओवादी दबाव में आ गए हैं। वही,ं उनकी सप्लाई चेन प्रभावित होने के कारण सामानों की आपूर्ति भी बंद हो गई है। बता दें कि कांकेर सहित कुछ अन्य स्थानों में माओवादियों के मददगारों पकड़े गए हैं। वहीं, उनसे संपर्क रखने वाले गायब हैं।
बारिश की तैयारी
बारिश के दौरान जंगल में पानी पाने भरने और नदी-नालों में उफान के चलते अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों का संपर्क टूटा जाता है। स्थिति को देखते हुए मानसूनी गतिविधियों के शुरू होने के पहले ही फोर्स के साथ ही माओवादी भी जरूरी सामान एकत्रित करते हंै। इसका उपयोग बारिश के दौरान कैंपों के साथ ही आपात स्थिति निर्मित होने पर स्थानीय ग्रामीणों के लिए भी किया जाता है। बता दें कि सीआरपीएफ द्वारा १२ महीनों सिविक एक्शन प्लान चलाया जाता है। इसके तहत नागरिकों को जरूरत के अनुसार राशन और अन्य सामान वितरित किया जाता है।
सीमित उड़ान
जवानों की सहायता के लिए तैनात किए गए हेलीकाप्टरों का उपयोग बारिश के दौरान बहुत ही सीमित मात्रा में किया जाता है। उड़ान भरते समय और उतारने के दौरान अत्यधिक नमी और जमीन गीली होने से परेशानियों का सामना करना पकड़ता है। इसे देखते हुए नियमित उड़ान बंद कर केवल अतिआवश्यक सेवा ही बहाल रखी जाती है। बता दें कि माओवादी 5 बार हेलीकाप्टर को निशाना बना चुके हैं। इसमें तीन बार नुकसान भी उठाना पड़ा है।
जरूरत के अनुसार उपयोग
माओवादियों द्वारा सामानों की लूटे जाने की आशंका को देखते हुए हेलीकाप्टरों के जरिए अतिआवश्यक सामानों को भेजा जाता है। ताकि दुर्गम और अंदरूनी इलाकों में सुरक्षित रूप से सामान पहुंचाया जा सके।
बिधानचंद्र पात्रा, प्रवक्ता, सीआरपीएफ