डॉली प्रतिदिन गिलास लेकर घर के सामने लकड़ी के खंभे पर बंधे मिट्टी के बर्तन पर पानी डालती है। तपती धूप में चिडिय़ा आकर पानी पीती है और अपनी प्यास बुझाती है।
रायपुर•May 30, 2020 / 05:38 pm•
dharmendra ghidode
ढाई साल की डॉली चिडिय़ों के लिए रोज करती है पानी का इंतजाम
नवापारा-राजिम. मई माह के भीषण गर्मी के चलते नौतपा से नगर का पारा 45 डिग्री पार कर गया है। ऐसे में जीव-जंतुओं का ख्याल रखना बहुत जरूरी हो जाता है। प्रकृति के संतुलन के लिए ना सिर्फ मनुष्य बल्कि पेड़-पौधे, पशु-पक्षी सभी को पानी की आवश्यकता पड़ती है। चौबेबांधा के थनवार पटेल के ढाई साल की बच्ची डॉली पटेल का पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम देखने को मिला।
डॉली प्रतिदिन गिलास लेकर घर के सामने लकड़ी के खंभे पर बंधे मिट्टी के बर्तन पर पानी डालती है। तपती धूप में चिडिय़ा आकर पानी पीती है और अपनी प्यास बुझाती है। इन्हें देख कर डॉली बहुत प्रसन्न होती है और वह अपने परिजनों को खुश होकर बताती हैं कि पानी पीकर चिडिय़ा खुश हो गई है। पिता थनवार पटेल ने बताया कि डॉली उनकी दूसरी संतान हैं। हर रोज चिडिय़ों के लिए घर से पानी निकाल लाती है और नांदी में डाल देती है। उल्लेखनीय है कि इनका घर नदी किनारे है तथा कोरोना काल में गरियाबंद जिला का आखरी छोर होने से चेक पोस्ट बना हुआ है। घर तक प्याऊ पानी के लिए नल कलेक्शन अभी तक नहीं आया है। नतीजतन इन्हें आधा किलोमीटर दूर बस्ती जाकर साइकल या फिर पैदल पानी लाना पड़ता है। पानी की एक-एक बूंद का मतलब यह परिवार अच्छी तरह से जानता है फिर भी पिछले वर्ष से चिडिय़ों के लिए गर्मी में पानी पिलाने का इंतजाम कर रहे हैं। पिता के इस कार्य से प्रभावित होकर बच्चे खुद पानी डालने का काम कर रही है। बता दें कि घर से ही लगा हुआ इनका चाय का कैंटीन है, लेकिन लॉकडाउन के चलते पिछले दो माह से बंद है।
खेत में मजदूरी कर परिवार का करते हैं पालन-पोषण
उन्होंने बताया कि सुबह खेत एवं बाड़ी में जाकर कुछ मजदूरी कर लेते हैं, जिससे परिवार का पालन पोषण हो जाता है। आज हम अपने बच्चों को पशु-पक्षियों के प्रति प्रेम रखने का संस्कार नहीं देते और उन्हें वीडियो गेम, मोबाइल, कम्प्यूटर आदि में व्यस्त रखते हैं, वह उनका दर्द समझ ही नहीं पाते हैं। जबकि प्रकृति से जुड़कर रहने में ही सबकी भलाई है। थनवार पटेल द्वारा अपने बच्चों को दिए जा रहा संस्कार से औरों को सबक लेना चाहिए। साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल ने तारीफ करते हुए कहा कि बच्चे कोरे कागज की तरह होते हैं, हम जैसा उन्हें सिखाते हैं वह वैसा ही सीखते हैं। ढाई साल की छोटी बच्ची डॉली द्वारा चिडिय़ों के लिए पानी की व्यवस्था करना पक्षियों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।