scriptसाहस और तेवर से जिंदा… शब्द | Rajkumar soni's Two books released in Vrindavan Hall | Patrika News
रायपुर

साहस और तेवर से जिंदा… शब्द

‘भेडि़ए और जंगल की बेटियां’ और ‘बदनाम गली’ का विमोचन।

रायपुरMar 25, 2018 / 01:09 pm

Tabir Hussain

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रायपुर . राजकुमार सोनी की दो पुस्तकों का विमोचन वृंदावन हॉल में हुआ। छत्तीसगढ़ राष्ट्र भाषाा प्रचार समिति की आेर से आयोजित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमी मौजूद रहे। अध्यक्षीय उद्बोधन में जाने-माने आलोचक सियाराम शर्मा ने लेखक-पत्रकार सोनी की लेखन-साहस को आज के समय में बहुत जरूरी बताया। उन्होंने प्रशंसा करते हुए कवि केदारनाथ सिंह की पंक्तियों का हवाला दिया – ‘ठंड से नहीं मरते शब्द, वे मर जाते हैं साहस की कमी से…।

भेडि़यों को पकडऩे का काम बाकी है
पत्रकारिता, साहित्य, रंगकर्म के मिलेजुले रूप व इप्टा के साथियों की एकाधिक प्रस्तुतियों के साथ आयोजित विमोचन कार्यक्रम में पत्रिका के राज्य संपादक ज्ञानेश उपाध्याय ने कहा, ‘इन किताबों से भागे हुए भेडि़यों को पकडऩे का काम बाकी है। उन्हें पकडने के लिए जो तेवर चाहिए, वह राजकुमार सोनी में है। लेखक तेजेंदर गगन ने कहा, ‘इन किताबों के लेखक के अंतस में सभी के प्रति प्रेम झलकता है। कुछ ही लोग आवाज उठाते हैं, उनमें इन किताबों का लेखक शामिल है। रायपुर का हमेशा से सेकुलर चरित्र रहा है। यह किताबें उन नापाक गतिविधियों से बचाएगी। गगन ने कहा कि गरीब होना मुश्किल है लेकिन उससे भी दिक्कत गरीबी पर लिखना होता है।

‘आज के समय में खड़े रहना ही डटे रहना है

‘कथाकार मनोज रूपड़ा ने कहा, ‘आज के समय में खड़े रहना ही डटे रहना है। सत्ता की गोद में बैठकर किताबें लिखना और लोक समाज के बीच लिखना दोनों में काफी फर्क है।’ लेखक बसंंत त्रिपाठी ने कहा, ‘लेखक ने सनसनी का बेजा इस्तेमाल नहीं किया है। ये किताबें व्यवस्था की कमियों पर सवाल खड़े करती हैं।’साहित्यकार कैलाश वनवासी ने सोनी के कविता, नाटक, पत्रकारिता के दौर को सिलसिलेवार ढंग से याद किया। उनके नाटक कोरस और गोरिल्ला का जिक्र करते हुए नि:स्वार्थ और अक्खड़ भाव का लेखक बताया। सोनी ने भी अपनी बात रखी। छत्तीसगढ़ राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के तहत हुए कार्यक्रम का संचालन डॉ. कल्पना मिश्रा ने किया।
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