अधिकारियों ने बताया कि राज्य में इस समय निजी चिकित्सा संस्थानों की संख्या 3069 है। इसमें से अब तक 1997 संस्थानों ने ही बोर्ड से अनुमति ली है। इसके दायरे में सभी निजी क्लीनिक, ब्लड बैंक, आयुर्वेदिक क्लीनिक तथा पैथालॉजी लैब शामिल है। इनमें से जिनके पास बिस्तरीय सुविधा है, उन्हें प्रत्येक वर्ष प्राधिकार लेना होगा। इसके अलावा जहां बिस्तरीय सुविधा नहीं है, उन्हें जीवनभर के लिए जीव चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन नियम के तहत केवल एक बार ही प्राधिकार लेना होगा।
दूषित जल उपचार संयंत्र की मांगी रिपोर्ट वनमंत्री ने अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्र के नगरीय निकायों से जनित घरेलू दूषित जल के उपचार के लिए संयंत्र स्थापना के लिए मौके पर जाकर निरीक्षण करने कहा। साथ ही 10 दिन के भीतर इसकी रिपोर्ट देने की हिदायत दी। अधिकारियों ने बताया कि इस समय रायपुर में भाटागांव में 6 एमएलडी, चंदनडीह में 75 एमएलडी, कारा में 35 एमएलडी और निमोरा में 90 एमएलडी और रायगढ़ जिले में बडेअतरमुड़ा में 25 एमएलडी तथा बांजिनपाली में 7 एमएलडी क्षमता के दूषित जल उपचार संयंत्र निर्माणाधीन है। वहीं राÓय के अन्य 74 नगरीय निकायों में 78 घरेलू दूषित जल उपचार संयंत्र की स्थापना की जाएगी।