महीनेभर में होने लगा खून का संचारडॉ. रंजीप कुमार दास बताते हैं कि बच्चे के इलाज के एक महीने के अंदर ही उसे दोनों पैर के शुष्क मांसपेशी में रक्त और स्नायु का संचालन शुरू हो गया था। उसके बाद उस पर विभिन्न औषधीय काढ़े और तैल से शिरोधारा शुरू किया गया और मांस रस से राजयापन बस्ती दिया गया। उसे फिजियोथेरेपी भी दी गई। धीरे-धीरे वह अच्छे से खड़ा होकर वॉकर से चलना शुरू कर दिया है और बोलने लगा है। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. प्रवीण जोशी के मार्गदर्शन व सहयोग से बच्चे का इलाज चल रहा है। [typography_font:14pt;” >रायपुर. आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल में एक 13 साल के बालक को नया जीवनदान मिला है। चलने-फिरने और बोलने में असमर्थ बालक अब अपने पैरों में खड़े होने लगा है और वॉकर के सहारे चलने-फिरने लगा है। साथ ही बात भी करने लगा है। बालोद जिले का रहने वाला इनका परिवार शहर में किराए का मकान लेकर रोजी-मजदूरी करता है। बच्चे का इलाज कर रहे पंचकर्म विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. रंजीप कुमार दास का कहना है कि बच्चा 75 फीसदी से ज्यादा रिकवर हो गया है। बोल नहीं पाना, शारीरिक रूप से कमजोर, चलने-फिरने में पूरी तरह से असमर्थ बच्चे को सालभर पहले जुलाई 2021 में यहां लाया गया था। 13 साल का बच्चा सिर्फ 18 किलो का था, जो अब बढ़कर 22 किलो हो गया है। उन्होंने बताया कि बच्चा मस्कुलर डिस्ट्रॉफी से पीडि़त है। इस बीमारी में मांसपेशी पूरी तरह से सूख जाते हैं। मसाज सहित पंचकर्म की कई विधाओं से उसका इलाज किया जा रहा है। जन्म के सालभर बाद बीमारी का चला पतापीडि़त बच्चे की मां रूकमणी साहू ने बताया कि बेटे के जन्म के छह महीने बाद उन्हें पता चला कि वह बैठ नहीं पा रहा है। वहीं सालभर का होने पर वह चल-फिर नहीं पा रहा था। उसका इलाज बीच-बीच में चलता रहा। जब वह चार-पांच साल का हुआ तो वह बोल नहीं पा रहा था। अस्पतालों में इलाज कराने पर उसे दवाइयां दे दी जाती थी और कहा जाता था कि बच्चा अब ऐसे ही रहेगा। आयुर्वेदिक अस्पताल में काम करने वाले उनके पड़ोस के एक व्यक्ति की सलाह पर वह अपने बच्चे को लेकर आयुर्वेद अस्पताल पहुंची, जहां पिछले साल जुलाई से लेकर अब तक उनका इलाज यहां चल रहा है। बीच में कोरोना के दौरान कोविड वार्ड बनने पर वे घर चले गए थे।