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रायपुर

बजट सत्र: धान खरीदी और कस्टम मिलिंग को लेकर सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक, CM को करना पड़ा हस्ताक्षेप

– सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक- मुख्यमंत्री भूपेश को करना पड़ा हस्ताक्षेप- आसंदी ने अलग से आधे घंटे की चर्चा का दिया समय

रायपुरFeb 25, 2021 / 10:40 pm

Ashish Gupta

Chhattisgarh Vidhan Sabha Session

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रायपुर. विधानसभा में बजट सत्र (Budget Session of Chhattisgarh Legislature) के तीसरे दिन गुरुवार को प्रश्नकाल में धान खरीदी और कस्टम मिलिंग को लेकर जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान सत्ता और विपक्ष के विधायकों के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई। विपक्ष इसकी जांच विधानसभा की समिति से कराने की मांग पर अड़ा था। विवाद बढ़ता देख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chhattisgarh CM Bhupesh Baghel) को हस्ताक्षेप करना पड़ा। मुख्यमंत्री के प्रस्ताव पर आसंदी ने इस मुद्दे पर अलग से आधे घंटे की चर्चा कराने की घोषणा की।

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भाजपा विधायक अजय चंद्राकर ने इस वर्ष और पिछले वर्ष की धान खरीदी और कस्टम मिलिंग को लेकर प्रश्न पूछा था। इसमें खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने उत्तर भी दिया, लेकिन 2019-20 के बचत 3 लाख 44 हजार मीट्रिक टन धान को लेकर विपक्ष के सवालों से घिर गए। विधायक चंद्राकर ने पूछा 2019-20 का चावल 31 दिसंबर के बाद एफसीआई नहीं लेती। एक साल बाद के चावल को क्या पीडीएस में खपाया जाएगा? इस पर मंत्री भगत ने कहा, सेंट्रल के नॉम्र्स के तहत ही चावल जमा होता है। इसकी स्टेट का क्वालिटी इंस्पेक्टर जांच भी करते हैं। चावल मानक अनुरुप होने पर ही जमा होता।
इस पर चंद्राकर ने इससे जुड़े नियम पटल पर रखने की मांग की। विधायक शिवरतन शर्मा ने पूछा सेंट्रल पूल से चावल की अनुमति कब-कब मिली। इस पर मंत्री का गोलमोल जवाब रहा। इसे लेकर विपक्ष नाराज भी हुआ। बाद में मंत्री ने बताया, सेंट्रल में 28 लाख मीट्रिक टन जमा करना था, लेकिन 26 लाख मीट्रिक टन ही जमा कर पाए। इसे लेकर विपक्ष ने फिर मंत्री को घेरा। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने कहा, मंत्री गलत जवाब दे रहे हैं। सदन की कमेटी से इसकी जांच कराई जाए।

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सीएम बोले- मामला उठाते हैं तो अधिकारियों पर रहता है दवाब
सत्ता और विपक्ष के विवाद के बीच मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा, यह गंभीर प्रश्न है। प्रदेश चिंतित है। मुख्यमंत्री ने समर्थन मूल्य और राजीव गांधी न्याय योजना को लेकर अपनी बातों को विस्तार से रखने के बाद कहा, केंद्र सरकार की समक्ष कुछ और है, प्रदेश की स्थिति कुछ और है। गड़बड़ी करने की मंशा किसी की नहीं है। अन्नदाताओं के अन्न का सम्मान होना चाहिए। परिस्थितियां ऐसी थी कि इस प्रकार की स्थिति बनी। उन्होंने कहा, छत्तीसगढ़ में पुराना चावल खाने की परंपरा रही है। एफसीआई में तीन-तीन साल पुराना चावल है। उसे अभी बांट रहे हैं। आप मामला उठाते हैं तो अधिकारियों पर दवाब रहता है। इसमें राजनीति की कोई मंशा नहीं है। इस पर अलग से आधे घंटे की चर्चा की जानी चाहिए।

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