मेन गेट – पं देवनारायण शर्मा ने बताया कि होटल या लॉज का मुख्य प्रवेश द्वार अगर भुखंड मुखी है तो मुख्य द्वार ईशान यानि उत्तर-पूर्व से, भूखंड पूर्व मुखी है तो मुख्य द्वार ईशान से, भूखंड दक्षिण मुखी है तो मुख्य द्वार आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व से और भूखंड पश्चिम मुखी है तो मुख्य द्वार उत्तर-पश्चिम से होना चाहिए।
सुरक्षा गार्ड – सुरक्षा गार्ड का कमरा उत्तरी द्वार पर पूर्व मुखी, पूर्वी द्वार पर उत्तर मुखी, पश्चिमी द्वार पर उत्तर मुखी और दक्षिण द्वार में पूर्व मुखी होना चाहिए।
गाडिय़ों की पार्र्किंग – वास्तु के अनुसार होटल या लॉज में गाडिय़ों की पार्र्किंग सबसे ज्यादा अहम मानी जाती है। इसलिए गाडिय़ोंं की पार्र्किंग हमेशा पूर्व या उत्तर की दिशा में ही होनी चाहिए। इससे कारोबार में समृद्धि बढ़ती है। इसके साथ ही होटल निर्माण के समय यह बात भी ध्यान में रखनी चाहिए कि दक्षिण व पश्चिम की दिशा में कम से कम स्थान व उत्तर पूर्व में ज्यादा खुली जगह छोडऩा चाहिए।
पेड़-पौधों की दिशा – खुबसुरती के लिए और पर्यावरण के लिए होटल और लॉज में पेड़-पौधे लगाए जाते हैं। नैऋत्य कोण में यानि दक्षिण एवं पश्चिम की दिशा में हमेशा बड़े व भारी पेड़ लगाने चाहिए। इसके अलावा होटल व लॉज के ईशान कोण में उत्तर पूर्व दिशा में छोटे पौधे लगाना चाहिए।
स्टोर रूम – स्टोर रूम या भंडार घर बनाते समय इस बात का ध्यान रखें कि वह कमरा हमेशा नैऋत्य कोण यानि दक्षिण-पश्चिम की दिशा में ही हो। साथ ही यह भी ध्यान रखें कि वास्तु के अनुसार स्टोर रूम का भू-स्तर अन्य सभी दिशाओं से ऊंचा होना चाहिए।
ऑफिस या काउंटर – होटल या लॉज में ऑफिस या काउंटर को हमेशा दक्षिण या पश्चिम की दीवाल पर ऐसा बनाना चाहिए कि मालिक का मुंह हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर हो। ऑफिस के अंदर पूजा घर ईशान कोण में होना चाहिए।