रायपुर

पत्नी पीड़ितों ने महिला आयोग में लगाई गुहार, हमारे लिए भी बनाया जाए पुरुष आयोग

महिला आयोग में सुनवाई के दौरान पीडि़त महिलाओं के पति कहते है कि महिलाओं की बात सुनने के लिए आयोग है तो हमारे लिए भी आयोग होना चाहिए।

रायपुरFeb 01, 2020 / 07:45 pm

Karunakant Chaubey

पत्नी पीड़ित पुरुषों ने महिला आयोग में लगाई गुहार, हमारे लिए भी बनाया जाए पुरुष आयोग

रायपुर. अब पुरुषों का ही नहीं महिला का रौब भी चलता है। रौब ऐसा कि पुरुष तंग आ कर न्याय की गुहार लगाने के लिए मजबूर हो रहे हैं। महिला आयोग में सुनवाई के दौरान आने वाले पुरुष, आयोग सदस्यों से पुरुष आयोग बनाने की मांग कर रहे हैं।

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महिला आयोग में सुनवाई के दौरान पीडि़त महिलाओं के पति कहते है कि महिलाओं की बात सुनने के लिए आयोग है तो हमारे लिए भी आयोग होना चाहिए। इस पर महिला आयोग की सदस्य खिलेश्वरी किरण का कहना है कि पुरुषों की इस मांग को हम शासन तक पहुंचाएंगे।

आयोग की सदस्य खिलेश्वरी ने बताया हम संतुलित निर्णय देते हैं। लेकिन कई मामलों में हमें भी महसूस होता है कि महिलाएं, पुरुषों को गलत साबित कर रही है तो उस स्थिति में हम महिलाओं को सही सलाह देते हैं। हमारी कोशिश रहती है कि पति-पत्नी में तालमेल बैठ जाए।

रायपुर के ही 200 से अधिक मामले

राज्य महिला आयोग में रायपुर के ही 200 से अधिक मामले पिछले माह जनसुनवाई में रखे गए, जिसमें 30 मामलों में सुनवाई की गई। इन मामलों में पुरुषों ने यहीं गुहार लगाई कि हमारे लिए भी आयोग खोला दिया जाए, क्योंकि महिलाएं तो अपनी पीड़ा यहां सुनाने आ जाती है लेकिन हम कहां जाएं। हमारी तो कोई सुनने वाला भी नहीं है।

इसी तरह के एक मामले में रायपुर की रहने वाली रेखा (बदला नाम) ने आयोग में आवेदन लगाया था कि मेरा पति मेरी बात नहीं मानता है, मैं कैसे इसके साथ रहूं? मेरी भी तो कोई सुनने वाला होना चाहिए , मैं परेशान हो गई हूं। जब रेखा के पति से पूछा गया तो उसके पति ने कहा कि ऐसा नहीं है।

मेरी बूढ़ी मां, छोटी बहन की जिम्मेदारी भी मेरे ऊपर है। उन लोगों को प्राथमिकता देना मेरा फर्ज है। उसी तरह पत्नी को भी प्राथमिकता देता हूं । बताइए मेरा क्या कसूर है? मैडम हम अपनी पीड़ा कहां कहे। हमारे लिए भी आयोग होना चाहिए जहां हम अपनी बात को रख सके। इसी तरह कुछ और मामलों में पुरुषों ने पुरुष आयोग बनाने पर जोर दिया।

फैक्ट फाइल

दिसंबर में महिला आयोग में दर्ज मामले

घरेलू हिंसा – 183

दहेज प्रताडऩा- 48
संपत्ति विवाद- 22

टोनही प्रताडऩा- 4
हत्या- 9

कार्यस्थल पर यौन प्रताडऩा- 2
कार्यस्थल पर प्रताडऩा- 5

1- हम तो संतुलित निर्णय देते हैं

सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों को सुनते हैं। हमारी कोशिश होती है कि सही निर्णय ही दे, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ मामलों में पुरुष निर्दोष होते हैं। महिलाएं उन पर झूठे इल्जाम लगाती है। ऐसी परिस्थितियों में हम संतुलित निर्णय देते हैं।
-खिलेश्वरी किरण, सदस्य राज्य महिला आयोग

2- काउंसिलिंग बराबर हो रही है

महिला आयोग में कई पुरुषों के भी आवेदन आते है, जिसमें वे लिखते है कि मेरी पत्नी से मुझे बचा लो लेकिन आयोग तो महिलाओं के लिए ही बना है। इस कारण हम पुरुषों के आवेदन रद्दी की टोकरी में डाल देते है, क्योंकि उनके लिए कोई प्रावधान नहीं है।
-अभय देवांगन, प्रभारी सचिव राज्य महिला आयोग

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