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रायपुर

खुद ही संभाला हाथियों से सुरक्षा का जिम्मा : 8 वॉट्सएप ग्रुपों के जरिए 2000 से अधिक लोग जुडकऱ हाथियों से बचने के लिए कर रहे अलर्ट

चरवाहे से लेकर सरपंच तक जारी कर रहे अलर्ट, हाथियों से सुरक्षा के लिए वॉट्सएप ग्रुप बना अहम माध्यम

रायपुरNov 21, 2019 / 06:47 pm

ramdayal sao

खुद ही संभाला हाथियों से सुरक्षा का जिम्मा : 8 वॉट्सएप ग्रुपों के जरिए 2000 से अधिक लोग जुडकऱ हाथियों से बचने के लिए कर रहे अलर्ट

खुद ही संभाला हाथियों से सुरक्षा का जिम्मा : 8 वॉट्सएप ग्रुपों के जरिए 2000 से अधिक लोग जुडकऱ हाथियों से बचने के लिए कर रहे अलर्ट

रायपुर/अंबिकापुर. हाथी प्रभावित ऐसे क्षेत्र, जहां वन विभाग गज उत्पात को रोकने में पूरी तरह से असफल हो गया है। उन क्षेत्रों में वॉट्सएप ग्रुप के जरिए ग्रामीण अब हाथियों के लोकेशन शेयर कर रहे हैं। किसी गांव में हाथियों के विचरण की जानकारी मिलने के साथ ही आगे के ग्रामों को भी अलर्ट करने में वाट्सएप ग्रुप एक प्रमुख माध्यम बनता जा रहा है। वॉट्सएप ग्रुप में लगभग 2000 से अधिक लोग शामिल हैं। इन सभी को हाथी के संबंध में एक-दूसरे से महत्वपूर्ण जानकारी मिल जाती है।
हाथी प्रभावित ऐसे क्षेत्र जहां हाथियों की वजह से लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। वहां के लोगों ने अब अपनी सुरक्षा करने का जिम्मा खुद ही उठा लिया है। गांव के चरवाहे से लेकर सरपंच सभी के हाथों में इन दिनों एंड्राइड मोबाइल नजर आ रहे है। गांव के लोग शाम होते ही एक दूसरे को वाट्सएप ग्रुप पर हाथियों के संबंध में मैसेज करते नजर आ जाते हैं। ग्रामीण खुद ही इन सभी ग्रुपों में अपने-अपने क्षेत्र में हाथी के विचरण की जानकारी एक-दूसरे को शेयर करते हैं। इससे महत्वपूर्ण जानकारी मिलने से लोग हाथी के क्षेत्र में पहुंचने से पहले अपनी सुरक्षा के उपाय खुद ही कर लेते हैं, हाथी के आगे बढऩे व दूसरे क्षेत्र में विचरण करने की जानकारी भी लोग शाम 7 बजे तक एक-दूसरे को देते हैं। अब यह न केवल ग्रामीणों के लिए कारगर उपाय बन गया है, बल्कि वन विभाग के अधिकारियों के लिए भी राहत है।

शाम 4 से 7 बजे तक मैसेज का रहता है इंतजार

सभी ग्रुप के लोगों को शाम के 4 बजने का इंतजार रहता है। इस दौरान गांव के लोग जो ‘हाथी विचरण वाट्सएप’ ग्रुप में शामिल हैं, उनके द्वारा एक-दूसरे को हाथी के विचरण से संबंधित जानकारी दी जाती है। शाम 7 बजे तक हाथी के विचरण से संबंधित जानकारी ग्रुप के माध्यम से एक दूसरे को दे दी जाती है। ग्रुप में मिली जानकारी से क्षेत्र में हाथी के पहुंचने से पहले ही लोग सजग हो जाते हंै।

सभी वर्ग के लोग शामिल

वॉट्सएप ग्रुप में समाज के हर वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है। इसमें क्षेत्र के व्यापारी, चरवाहे, किसान, सरपंच, पान गुमटी संचालकों, चाय दुकानदारों व युवाओं को शामिल किया गया है। इसके साथ ही विभिन्न वर्ग के लोगों को शामिल किया गया है। इस ग्रुप के माध्यम से न केवल ग्रामीणों को हाथियों के बेहतर लोकेशन मिल पा रहे हैं, बल्कि ग्रामीणों की मदद से वन विभाग के कर्मचारियों को भी हाथी के संबंध में लोकेशन मिल रही है। बेहतर लोकेशन मिलने की वजह से वन विभाग भी हाथियों पर नजर रख पा रहा है।

आठ ग्रुप में 2000 सदस्य

अलग-अलग गांव के लोगों को इसमें शामिल किया गया है। ग्रामीणों द्वारा 8 ग्रुप बनाए गए हैं। प्रत्येक ग्रुप में 250 ग्रामीणों को शामिल किया गया है। इसमें अब ग्रामीणों के माध्यम से वन विभाग के कर्मचारी भी शामिल हो रहे हैं। ऐसे में ग्रामीणों द्वारा शुरू की गई मुहिम में अब वन विभाग ने भी अपना योगदान देना शुरू कर दिया है इससे न सिर्फ ग्रामीणों को अलर्ट किया जा रहा है बल्कि जानकारी के साझा होने के कारण वन विभाग भी समय रहते उन स्थानों पर पहुंच रहा है जहां हाथी उत्पात मचा रहे हैं।
– वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से कई गांवों में बड़ी आसानी से हाथी के विचरण की जानकारी साझा की जा रही है। आने वाले समय में यह वन विभाग के लिए एक बड़ा टूल्स साबित होगा। पूर्व में रेडियो के माध्यम से लोगों को हाथी के विचरण की जानकारी दी जाती थी।
– अमलेंदु मिश्रा, सदस्य, स्टेट वाइल्ड लाइफ


महासमुंद में गजराजों के उत्पात बढ़े, इस वर्ष सबसे अधिक बर्बाद हुई फसल
महासमुंद. हाथी प्रभावित गांवों में पिछले तीन वर्ष की तुलना में इस वर्ष हाथियों के उत्पात से सबसे ज्यादा फसल बर्बाद हुई है। 2019-20 में नवंबर तक फसल हानि के 2546 प्रकरण दर्ज किए गए हैं। जबकि, 2018-19 में 1821 प्रकरण दर्ज किए गए थे।
वन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 2017-18 में फसल हानि के 2230 प्रकरण बने थे। प्रभावित किसानों को 75,44438 मुआवजा राशि प्रदान की गई। वहीं 2018-19 में 1821 प्रकरण बने। 59,47719 राशि का भुगतान किया गया। वहीं अब तक 2019-20 में 2546 प्रकरण बन चुके हैं। इस पर 2,02,89601 रुपए का मुआवजा राशि का वितरण किया जा चुका है। जबकि, अभी वित्तीय वर्ष पूरा भी नहीं हुआ है। एक तरफ जहां खेतों में फसल कटाई का दौर शुरू हो गया है, वहीं कई किसान हाथियों से हुई फसल हानि का मुआवजा राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं। जिले में करीब 58 गांव हाथी प्रभावित हैं। इनमें कुछ गांवों में हर दूसरे रोज हाथियों की आवाजाही है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक हाथियों से फसल हानि का मुआवजा एक एकड़ का 9 हजार और एक हेक्टेयर का 22 हजार रुपए किसानों को दिया जाता है। हाल ही में गुड़रूडीह में वन विभाग के अफसरों के साथ किसानों की बैठक हुई थी। इस बैठक में ग्रामीणों ने प्रति एकड़ फसल मुआवजा 25 हजार रुपए देने की मांग की गई थी। ज्ञात हो कि वर्तमान में उत्पाती हाथी एक-दो दिन के आड़ में गांवों में फसल नुकसान कर रहे हैं। हाथी की समस्या से मुक्ति नहीं मिल रही है। वन विभाग भी कुछ नहीं कर पा रहा है।

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