एडमिशन में आई दिक्कत
नेहा की मॉम ममता जैन ने कहा कि मुझे अपनी बेटी पर नाज है। एक समय ऐसा भी था जब कुछ स्कूल वाले उसे दाखिला नहीं दे रहे थे। कई प्रिंसिपल से तो मेरी इसी बात को लेकर बहस भी हुई। मेरा कहना था कि हर किसी को एक मौका मिलना चाहिए। कुछ स्कूल वालों ने सपोर्ट भी किया।
इंटरनेट का यूज सिर्फ काम के लिए, बन गए सिटी टॉपर
देवेंद्र नगर रचित जैन (भवंस स्कूल) ने 97.8 मार्क्स अचीव किए हैं। रचित और नेहा ट्वींस हैं। ऐसा पहली बार हुआ है कि स्टेट में भाई-बहन ने एक साथ बड़ी कामयाबी हासिल की हो। रचित कहते हैं कि शुरुआती तौर पर मैंने खास पढ़ाई नहीं की थी। परीक्षा के दो महीने पहले रोजाना दो घंटे और एग्जाम के वक्त डेली 6 से 7 घंटे पढ़ा। इस दौरान सोशल मीडिया से दूर रहा लेकिन इंटरनेट से काम की चीजें पढ़ लेता था। नंबर देखकर मुझे लगता है कि अगर ज्यादा वक्त दिया होता तो परसेंट और बढ़ सकते थे। आगे बिजनेसमैन ही बनना है लेकिन पढ़ाई बीएससी इकोनॉमिक्स की करनी है।यूट्यूब से समझा टॉपिक, साइकिलिंग से दूर की टेंशन
पचपेड़ी नाका निवासी स्पंदन पांडे (डीपीएस) ने 97 परसेंट मार्क्स हासिल किए हैं। पापा झारखंड में जीएसटी कमिश्नर हैं और मॉम शैलजा पांडे हाउसवाइफ। स्पंदन कहते हैं कि जो भी टॉपिक पढ़ता था उसे समझने के लिए यूट्यूब का सहारा लेता था। पेपर के एक दिन पहले शाम से पढ़ाई बंद कर वॉक और साइकिलिंग करता था। आगे क्राइश यूनिवर्सिटी या डीयू में स्टडी करनी है। सिविल सर्विसेस में इंट्रेस्ट है।
मेडिटिशन से मिली एकाग्रता
शंकर नगर की हृति पारेख (एनएच गोयल ) ने 97.25 माक्र्स गेन किए हैं। पिता अपूर्व पारेख बिजनेस मैन हैं। मॉम मोना पारेख हाउसवाइफ। हृति कहती हैं कि सालभर प्रिपेरशन किया। पूरी तरह डेडिकेटेड होकर पढ़ाई की। छोटे-छोटे नोट्स बनाए। लास्ट मोमेंट में सिर्फ रिवीजन किया। आगे लॉ में ग्रेजुएशन कर सिविल सर्विसेस की तैयारी करनी है। हृति कहती हैं कि पापा के कहने पर परीक्षा के टाइम मेडिटेशन का फायदा मिला। वे 25 साल से कर रहे हैं।
बचपन से अब तक स्मार्ट फोन से बनाई दूरी
दुबे कॉलोनी निवासी ज्योतिर्मय घोष (ज्ञान गंगा स्कूल ) ने 96 परसेंट प्राप्त किए हैं। पापा सिद्धार्थ शंकर घोष प्राइवेट जॉब करते हैं, मॉम अपर्णा घोष टीचर हैं। घोष ने बताया कि मैंने मेरे पास स्मार्ट फोन बचपन से नहीं है। मैंने पैरेंट्स के फोन से यूट्यूब में लेक्चर सुने। स्ट्रेटजी के मामले में मैंने एनसीईआरटी को पूरी तरह रीड किया। कोचिंग की। मार्केट में मिलने वाली रेफ्रेंस बुक को पढ़ा। आगे इंजीनियरिंग करके सिविल सर्विसेस में जाना है।