स्कूल तक पहुंचने वाले रास्ते इतने बेकार पड़े हुए हैं कि कहीं तो पुल टूटा पड़ा है तो कहीं कीचड़ से होकर गुजरना पड़ता है। बच्चे हाथ में चप्पल लेकर निकलते हैं। मगर प्रशासन और क्षेत्र के जनप्रतिनिधि मूकदर्शक बने बैठे हंै। ग्राम में आने के लिए दो रास्ते हैं। इनमें से एक पर पुल टूटा पड़ा है, तो दूसरे पर बारिश के दिनों में घुटनों तक कीचड़ से भरा रहता है। ग्रामीणों के कई बार शिकायत के बाद भी आज तक पुलिया का निर्माण नहीं हो सका है। क्षेत्र के सांसद, विधायक ने कभी इन गांवों की तरफ देखना उचित नहीं समझा।
तीन किमी घूमकर जाते ग्रामीण
पुलिया टूटने के कारण ग्रामीणों को तीन किलोमीटर घूमकर जाना पड़ रहा है। बारिश के समय यहां से निकलना और भी ज्यादा खतरनाक हो जाता है जबकि ग्रामीण इस रास्ते से होकर विदिशा और भोपाल के लिए जाते हैं। वहीं जिम्मेदारों का कहना है कि इस रास्ते पर विवाद चल रहा है। विवाद सुलझने के बाद ही पुलिया बन पाएगी। अब सवाल उठता है कि 15 साल से इस पुलिया का बनने का इंतजार कर रहा है। ग्रामीण अब कब तक इंतजार कर जान को जोखिम में डालेंगे।
सरकारी रास्ता, अब निजी कैसे हो गया
ग्रामीणों से मिली जानकारी के अनुसार राजस्व निरीक्षक, पटवारी ने इस रास्ते की नपती करके किसी निजी भूमि में निकाल दिया है। कुछ दिन तक जिसको राजस्व निरीक्षक ने कब्जा दिया था, उक्त व्यक्ति ने कांटे डालकर रास्ता भी बंद कर दिया था। मगर ग्रामीणों के कहने से उक्त व्यक्ति ने रास्ता खोल दिया है। अब सवाल इस बात का उठता है कि बरसों पुराने रास्ता जो सरकारी था अब निजी कैसे हो गया है।
&टूटी पुलिया के दोनों तरफ बिजली के खंभे रखे हैं। इनके सहारे रोज खतरा उठाकर निकलना पड़ता है, जिससे लगभग बीस गांव के ग्रामीण परेशान और कई बार दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। बारिश के समय मे पूरा रास्ता बंद हो जाता है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन निराकरण नहीं हो पाया।
-कमल मीणा, स्थानीय ग्रामीण अंबाड़ी।
इस मार्ग से बीस गांव के ग्रामीण जुड़े हैं। जिन्हें प्रतिदिन टूटी पुलिया से बिजली के पोल के ऊपर से निकलना पड़ रहा है, जिससे कभी भी गंभीर हादसा हो सकता है। मगर प्रशासनिक एवं जनप्रतिनिधि इस पुलिया का निर्माण नहीं करा रहे।
-योगेश कुमार, स्थानीय ग्रामवासी।
15 सालों से यह पुलिया जर्जर अवस्था में है। हमें प्रतिदिन अपनी जान जोखिम में डालकर इन बिजली के खंभों के सहारे यहां से निकलना पड़ता है। कई बार शिकायत की गई, लेकिन हमारी समस्या का समाधान न जिम्मेदारों ने नहीं किया।
-अरविंद, स्थानीय ग्रामीण।
-नियति साहू, नायब तहसीलदार सांची।