जानकारी के अनुसार तहसील के आदिवासी अंचल में जल संसाधन विभाग के द्वारा शालाबर्रु जलाशय योजना, सेमराखास जलाशय योजना तथा नगपुरा नगझिरी जलाशय योजना का निर्माण कार्य कराया गया था। तीनों ही जलाशयों के निर्माण में 21 करोड़ के करीब राशि का व्यय किया जाना बताया जा रहा है। करीब 3 साल पूर्व निर्मित कराई गई 21 करोड़ की लागत वाली नहरों का लाभ किसानो को नहीं मिल पा रहा है। निर्माण के समय अधिकारियों की मिलीभगत से निर्माण एजेंसी के द्वारा बड़े पैमाने पर घटिया निर्माण किया जाना बताया जा रहा है। तय मापदण्ड वाली सामग्री का उपयोग न किए जाने से नहर पूर्णत: क्षतिग्रस्त हो गई है।
सौ किमी लंबी हैं नहरें
जल संसाधन विभाग के द्वारा दावा किया जा रहा है कि साढ़े तीन हजार किसानों की 5 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि को सिंचित किए जाने के लिए करीब सौ किलोमीटर लंबाई की नहरों का निर्माण कराया गया है। जबकि जल संसाधन विभाग के दावों के उलट ग्रामीण तीनों ही परियोजनाओं के निर्माण में अनियमितताएं होने व नहरों के क्षतिग्रस्त होने के आरोप लगा रहे हैं। ग्रामीणों के द्वारा लगाए जा रहे आरोपों की जांच के बाद ही वस्तु स्थिति सामने आ सकती हैं।
नहरों के निर्माण में अनियतिताए होने की जानकारी मिली है। जांच कराई जाकर दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी। किसानों व ग्रामीणों को कृषि व अन्य कार्य के लिए पानी उपलब्ध कराया जाएगा।
– रामपाल सिंह राजपूत, क्षेत्रीय विधायक व मंत्री लोनि.