हाइवे पर रहते हैं मवेशी
शहर से निकले सागर-भोपाल स्टेट हाइवे पर जगह-जगह आवारा पशु जमा रहते हैं। सड़क के दोनों तरफ भी पशुओं का डेरा दिखाई देता है। हाइवे पर रात के समय इनकी वजह से किसी भी दिन कोई बड़ा हादसा हो सकता है, जबकि छुटपुट दुर्घटनाएं कई बार हो चुकी हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठाते। इसका खामियाजा लोगों को उठाना पड़ता है। शहर के दशहरा मैदान से लेकर नया बस स्टैंड, पुराना बस स्टैंड, सागर रोड, गांधी बाजार, मरकज मस्जिद रोड पर आवारा पशु नजर आते हैं।
टैग से लग सकती है जानकारी
पशु विभाग ने मवेशियों की गणना कर उनके कान पर टैग लगा दिया है। इससे मवेशियों और उसके पालक की पहचान हो सकती है। नगर पालिका द्वारा अभियान चलाकर आवारा मवेशियों को गोशाला में बंद किया जा सकता है। टैग के आधार पर मवेशी पालक की पहचान कर जुर्माने की कार्रवाई हो सकती है। मगर जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई से परहेज कर रहे हैं।
किसानों ने बताया: किसान संजय गौर ने बताया कि एक ओर तो हजारों रुपए क्विंटल का चना व गेहंू का बीज लेकर बोवनी की है। अब खेतों में पशु पहुंचकर फसल नष्ट कर रहे हैं। इसके अलावा जंगली सूअर भी फ सलों को चट कर रहे हैं। इसी तरह की स्थिति किसान भगवान सिंह ने बताई। उन्होंने कहा कि दिन-रात खेत में पशुओं की धमाचौकड़ी लगी रहती है। उन्हें बार-बार खेत से बाहर करके परेशान होना पड़ रहा है। जबकि जिम्मेदार अधिकारी समस्या के निराकरण को लेकर गंभीर नहीं है।
आवारा पशु फसलों को चटकर, किसानों की मेहनत कर रहे बर्बाद
सिलवानी. क्षेत्र में आवारा पशुओं से किसान खासे परेशान हो रहे हैं। हाल ये है कि आवारा पशुओं के झुंड खेतों में घुसकर किसानों की फसलों को आएदिन नष्ट कर रहे हैं। ऐसे में किसान अपनी फसलों को बचाने के लिए दिन-रात फसलों की रखवाली करने को मजबूर हैं। बावजूद इसके इन आवारा पशुओं की धमाचौकड़ी खेतों में लगी रहती है। किसान रामस्वरुप आदिवासी कहते हैं कि रात को खेतों में अवारा पशुओं के झुंड आ जाते हैं। फ सलों को चरकर व पैरों से रौंदकर चले जाते हैं। सुरक्षा के लिए खेत के चारों ओर तारों की बाड़ लगा रखी है, मगर पशु बाड़ को लांघकर खेतों में घुस रहे हैं। जब तक खेत में लोग पहुंचते हैं, तब तक पशुओं के झुंड फ सलों को नष्ट कर देते हैं। किसान केदार सिंह ने बताया कि अगर इन आवारा पशुओं की समस्या का कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया तो किसान फसल नहीं बचा पाएंगे। चंदन यादव का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों में खेतों में आवारा पशुओं का जमघट किसानों के लिए चुनौती बन रहे हैं।